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दोहा :- अन्न गिरे भू भाग पर , नहीं उठाते लोग । और चरण रज माथ पे , करते हैं उपयोग ।। जीवन दाता पर सभी , प्रवचन देते लोग । आये कोई सामने , करने भी सहयोग ।। मातु-पिता सेवा नही , खुद पे है अभिमान । आकर देखो नाथ अब , कलयुग का इंसान ।। आज कहीं दिखता नही , रिश्तों में सत्कार । और खडे इंसान है , भोले के दरबार ।। छोड़ो माया मोह को, थे जिनके यह बोल । कभी आप भी देखिये , धन से उनको तोल ।। बीस साल की नौकरी , में सिकुडी है खाल । एक समय रोटी मिले , अब ऐसा है हाल ।। दाल मिले सब्जी नही , ऐसे थे हालात । आप बताते हो हमें , अच्छे रख जज्बात ।। जीवन के इस खेल में, निर्धन पिश्ता सत्य । दौलत वाले ले मजा , कर उसपे अब अत्य ।। बाबाओं की बात पर , करो यकीं मत आज । पढ़े लिखे हो आज तुम , करो धर्म के काज ।। भूत प्रेत ये कुछ नहीं, सब है कर्म विधान । जिसके जैसे कर्म है , देते फल भगवान ।। इधर-उधर मत देख तू , राह नही आसान । राह बताये जो सरल , वो ही है शैतान ।। सास ससुर सम्मान दो , मातु-पिता अब जान । यह ही देती मातु है , बेटी को वरदान ।। मातु-पिता ने जब किया , तेरा कन्यादान । उस दिन के ही बाद से , तुम वहाँ मेहमान ।। जिसे हृदय से चाहना , अब तक का था काम । वही छोड़ मुझको यहाँ , करता है आराम ।। पहले तो सबला बनी , इस जग की हर नार । जब पाया कुछ भी नहीं , तो अब करे विचार ।। पहले पति के प्रेम की , तनिक नही परवाह । ढ़लती उम्र दिखला रही , पति से प्रेम अथाह ।। पाकर झूठे प्रेम को, किया बहुत अभिमान । अब आया वह सामने , लिए रूप शैतान ।। झूठे जग के लोग है , करना मत विश्वास । पाते अक्सर घात है , जो करते हैं आस ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  दोहा :-
अन्न गिरे भू भाग पर , नहीं उठाते लोग ।
और चरण रज माथ पे , करते हैं उपयोग ।।
जीवन दाता पर सभी , प्रवचन देते लोग ।
आये कोई सामने , करने भी सहयोग ।।
मातु-पिता सेवा नही , खुद पे है अभिमान ।
आकर देखो नाथ अब , कलयुग का इंसान ।।
आज कहीं दिखता नही , रिश्तों में सत्कार ।
और खडे इंसान है , भोले के दरबार ।।
छोड़ो माया मोह को, थे जिनके यह बोल ।
कभी आप भी देखिये , धन से उनको तोल ।।
बीस साल की नौकरी , में सिकुडी है खाल ।
एक समय रोटी मिले , अब ऐसा है हाल ।।
दाल मिले सब्जी नही , ऐसे थे हालात ।
आप बताते हो हमें , अच्छे रख जज्बात ।।
जीवन के इस खेल में, निर्धन पिश्ता सत्य ।
दौलत वाले ले मजा , कर उसपे अब अत्य ।।
बाबाओं की बात पर , करो यकीं मत आज ।
पढ़े लिखे हो आज तुम , करो धर्म के काज ।।
भूत प्रेत ये कुछ नहीं, सब है कर्म विधान ।
जिसके जैसे कर्म है , देते फल भगवान ।।
इधर-उधर मत देख तू , राह नही आसान ।
राह बताये जो सरल , वो ही है शैतान ।।
सास ससुर सम्मान दो , मातु-पिता अब जान ।
यह ही देती मातु है , बेटी को वरदान ।।
मातु-पिता ने जब किया , तेरा कन्यादान ।
उस दिन के ही बाद से , तुम वहाँ मेहमान ।।
जिसे हृदय से चाहना , अब तक का था काम ।
वही छोड़ मुझको यहाँ , करता है आराम ।।
पहले तो सबला बनी , इस जग की हर नार ।
जब पाया कुछ भी नहीं , तो अब करे विचार ।।
पहले पति के प्रेम की , तनिक नही परवाह ।
ढ़लती उम्र दिखला रही , पति से प्रेम अथाह ।।
पाकर झूठे प्रेम को, किया बहुत अभिमान ।
अब आया वह सामने , लिए रूप शैतान ।।
झूठे जग के लोग है , करना मत विश्वास ।
पाते अक्सर घात है , जो करते हैं आस ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- अन्न गिरे भू भाग पर , नहीं उठाते लोग । और चरण रज माथ पे , करते हैं उपयोग ।। जीवन दाता पर सभी , प्रवचन देते लोग । आये कोई सामने , करन

14 Love

ग़ज़ल :- तू जिसे है देखता वो तो पराई नार है । सीरियल से मिल रहे जो अब यहाँ संस्कार है ।। जीव हत्या कर रहा  है नाम पशुपालन दिया । ये बताता युग हमारा धर्म शिष्टाचार है ।। दूर दुनिया देख लो यह आज इतनी हो गई । मान भी लो आज पीछे चलना भी बेकार है ।। गर्व था मुझको कभी ये यह हमारा धर्म था । पर पतन की राह जाते देखूँ मैं धिक्कार है ।। खो गई मेरी जवानी सबको समझाते हुए । मैं यहीं थककर  रुका तो ये हमारी हार है ।। कर रहीं सरकार हैं अब आज ऐसे फैसले । निर्बलों की आज गर्दन पे धरी तलवार है ।। हाय मत लेना किसी की ज्ञानियों के बोल थे । देखता हूँ थाल उनकी नित्य वो आहार है ।। कुछ बिगड़ बच्चे गये तो कुछ बिलखकर सो गये । आज दोनों के पिता ही देख लो लाचार है ।। जो कभी सोये नही उनको जगाता क्यों प्रखर । जानतें है सब यहाँ पे जान का व्यापार है ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  ग़ज़ल :-
तू जिसे है देखता वो तो पराई नार है ।
सीरियल से मिल रहे जो अब यहाँ संस्कार है ।।
जीव हत्या कर रहा  है नाम पशुपालन दिया ।
ये बताता युग हमारा धर्म शिष्टाचार है ।।
दूर दुनिया देख लो यह आज इतनी हो गई ।
मान भी लो आज पीछे चलना भी बेकार है ।।
गर्व था मुझको कभी ये यह हमारा धर्म था ।
पर पतन की राह जाते देखूँ मैं धिक्कार है ।।
खो गई मेरी जवानी सबको समझाते हुए ।
मैं यहीं थककर  रुका तो ये हमारी हार है ।।
कर रहीं सरकार हैं अब आज ऐसे फैसले ।
निर्बलों की आज गर्दन पे धरी तलवार है ।।
हाय मत लेना किसी की ज्ञानियों के बोल थे ।
देखता हूँ थाल उनकी नित्य वो आहार है ।।
कुछ बिगड़ बच्चे गये तो कुछ बिलखकर सो गये ।
आज दोनों के पिता ही देख लो लाचार है ।।
जो कभी सोये नही उनको जगाता क्यों प्रखर ।
जानतें है सब यहाँ पे जान का व्यापार है ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- तू जिसे है देखता वो तो पराई नार है । सीरियल से मिल रहे जो अब यहाँ संस्कार है ।। जीव हत्या कर रहा  है नाम पशुपालन दिया । ये बताता युग

12 Love

White मनय हांसी आवय नार तेरा प्यार देखकय तू छोड़ गई मनय छोटी कार देखकय इब प्यार ना होवय चाहे दिलदार हो कोए होगी प्यार तै नफ़रत तेरा व्यहवार देखकय होगी प्यार तै नफ़रत दोगला यार देखकय ✨❣️✨😡🔭📙✍️ - Rajkumar Siwachiya ✍️♠️ ©Rajkumar Siwachiya

#rajkumarsiwachiya #summer_vacation #Jhumpa_Kalan #JhumpaKalan #Haryanvi  White  मनय हांसी आवय नार
तेरा प्यार देखकय
तू छोड़ गई मनय 
छोटी कार देखकय
इब प्यार ना होवय
चाहे दिलदार हो कोए 
होगी प्यार तै नफ़रत
तेरा व्यहवार देखकय
होगी प्यार तै नफ़रत
दोगला यार देखकय
✨❣️✨😡🔭📙✍️
- Rajkumar Siwachiya ✍️♠️

©Rajkumar Siwachiya

मनय हांसी आवय नार तेरा प्यार देखकय मनय छोड़ गई तू छोटी कार देखकय ✨❣️✨😡🔭📙✍️ - Rajkumar Siwachiya ✍️♠️ #mango #rajkumarsiwachiya #oyedesi #ha

14 Love

#nojotohindipoetry #पर्दा #दोहे #sandiprohila #nojotohindi  पर्दा (दोहे)

पर्दा पड़ता झूठ पर, हो अपयश सब ओर।
भ्रष्टाचारी का रहे, उस पर ही अब जोर।।

यह पर्दा दिखता नहीं, है फिर भी अनमोल।
जो इससे अनभिज्ञ हैं, कर न सके वो तोल।।

दूजा है पर्दा दिखे, जन मानस में ज्ञात।
करें सभी उपयोग हैं, कहने की क्या बात।।

पर्दा खिड़की में लगे, और सजाता द्वार।
पूरा घर सुंदर लगे, जाने सब नर-नार।।

दोनों का यह काम है, ढाँप सकें वो बात।
जिसे बताना है नहीं, उससे है अज्ञात।।

पर्दा उस पर क्यों पड़े, जो देता आघात।
सबको जख्मी भी करे, देता है वो मात।।

पर्दा उन पर डालिये, जो होते निर्दोष।
दंड मिले बिन पाप के, कैसे हो संतोष।।
.......................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#पर्दा #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry पर्दा (दोहे) पर्दा पड़ता झूठ पर, हो अपयश सब ओर। भ्रष्टाचारी का रहे, उस पर ही अब जोर।। यह पर्

324 View

#भगवान #भक्ति #बुराई #प्रभु #ramnavmispecial #ramnavmi2024  White बुराई  दूर  करने  को  यहाँ  भगवान  आते  हैं ।
अधर्मी  राक्षसों  का  नाश कर पृथ्वी बचाते हैं ।l

पुराणों में  कहा  जाता धरा पर पाप बढ़ जाता l
कभी श्री कृष्ण या श्री राम बन लीला रचाते हैं ।l

धरा  पावन  बनाने  को प्रभू  सुत रूप में आए ।
लता- पत्ता  सभी  झूमें तथा नर- नार मुस्काए ।l

घड़ी थी चैत्र की नवरात्रि नवमी मात कौशिल्या l
अयोध्या राम की नगरी पिता अवधेश कहलाए ।l

                                      
ll आप सभी को रामनवमी  की हार्दिक शुभकामनाएं ll

©Shivkumar

#ramnavmi #ramnavmispecial #ramnavmi2024 #ramnavmi2025 #Nojoto #बुराई दूर करने को यहाँ #भगवान आते हैं । अधर्मी राक्षसों का #

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#अयोध्या_सज_गई #nojotohindipoetry #दोहे #sandiprohila #nojotohindi  अयोध्या सज गई (दोहे)

देख अयोध्या सज गई, आएँगे श्री राम।
राह निहारें हम सभी, सुन्दर हों सब काम।।

प्राण प्रतिष्ठा आपकी, करने को संसार।
हैं उत्साहित देखलो, झूमें सब नर-नार।।

कृपा आपकी हो जिसे, है वो ही धनवान।
राह खड़े सब आपकी, पाने को वरदान।।

भोग सभी तैयार हैं, आ जाओ भगवान।
द्वार खड़े हैं आपके, हम सब ही नादान।।

भक्ति भाव से तृप्त हों, ऐसा हो रघुनाथ।
जीवन में यश भी मिले, और आपका साथ।।
............................................................
देवेश दीक्षित
स्वरचित एवं मौलिक

©Devesh Dixit

#अयोध्या_सज_गई #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi अयोध्या सज गई (दोहे) देख अयोध्या सज गई, आएँगे श्री राम। राह निहारें हम सभी, सुन्दर ह

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दोहा :- अन्न गिरे भू भाग पर , नहीं उठाते लोग । और चरण रज माथ पे , करते हैं उपयोग ।। जीवन दाता पर सभी , प्रवचन देते लोग । आये कोई सामने , करने भी सहयोग ।। मातु-पिता सेवा नही , खुद पे है अभिमान । आकर देखो नाथ अब , कलयुग का इंसान ।। आज कहीं दिखता नही , रिश्तों में सत्कार । और खडे इंसान है , भोले के दरबार ।। छोड़ो माया मोह को, थे जिनके यह बोल । कभी आप भी देखिये , धन से उनको तोल ।। बीस साल की नौकरी , में सिकुडी है खाल । एक समय रोटी मिले , अब ऐसा है हाल ।। दाल मिले सब्जी नही , ऐसे थे हालात । आप बताते हो हमें , अच्छे रख जज्बात ।। जीवन के इस खेल में, निर्धन पिश्ता सत्य । दौलत वाले ले मजा , कर उसपे अब अत्य ।। बाबाओं की बात पर , करो यकीं मत आज । पढ़े लिखे हो आज तुम , करो धर्म के काज ।। भूत प्रेत ये कुछ नहीं, सब है कर्म विधान । जिसके जैसे कर्म है , देते फल भगवान ।। इधर-उधर मत देख तू , राह नही आसान । राह बताये जो सरल , वो ही है शैतान ।। सास ससुर सम्मान दो , मातु-पिता अब जान । यह ही देती मातु है , बेटी को वरदान ।। मातु-पिता ने जब किया , तेरा कन्यादान । उस दिन के ही बाद से , तुम वहाँ मेहमान ।। जिसे हृदय से चाहना , अब तक का था काम । वही छोड़ मुझको यहाँ , करता है आराम ।। पहले तो सबला बनी , इस जग की हर नार । जब पाया कुछ भी नहीं , तो अब करे विचार ।। पहले पति के प्रेम की , तनिक नही परवाह । ढ़लती उम्र दिखला रही , पति से प्रेम अथाह ।। पाकर झूठे प्रेम को, किया बहुत अभिमान । अब आया वह सामने , लिए रूप शैतान ।। झूठे जग के लोग है , करना मत विश्वास । पाते अक्सर घात है , जो करते हैं आस ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  दोहा :-
अन्न गिरे भू भाग पर , नहीं उठाते लोग ।
और चरण रज माथ पे , करते हैं उपयोग ।।
जीवन दाता पर सभी , प्रवचन देते लोग ।
आये कोई सामने , करने भी सहयोग ।।
मातु-पिता सेवा नही , खुद पे है अभिमान ।
आकर देखो नाथ अब , कलयुग का इंसान ।।
आज कहीं दिखता नही , रिश्तों में सत्कार ।
और खडे इंसान है , भोले के दरबार ।।
छोड़ो माया मोह को, थे जिनके यह बोल ।
कभी आप भी देखिये , धन से उनको तोल ।।
बीस साल की नौकरी , में सिकुडी है खाल ।
एक समय रोटी मिले , अब ऐसा है हाल ।।
दाल मिले सब्जी नही , ऐसे थे हालात ।
आप बताते हो हमें , अच्छे रख जज्बात ।।
जीवन के इस खेल में, निर्धन पिश्ता सत्य ।
दौलत वाले ले मजा , कर उसपे अब अत्य ।।
बाबाओं की बात पर , करो यकीं मत आज ।
पढ़े लिखे हो आज तुम , करो धर्म के काज ।।
भूत प्रेत ये कुछ नहीं, सब है कर्म विधान ।
जिसके जैसे कर्म है , देते फल भगवान ।।
इधर-उधर मत देख तू , राह नही आसान ।
राह बताये जो सरल , वो ही है शैतान ।।
सास ससुर सम्मान दो , मातु-पिता अब जान ।
यह ही देती मातु है , बेटी को वरदान ।।
मातु-पिता ने जब किया , तेरा कन्यादान ।
उस दिन के ही बाद से , तुम वहाँ मेहमान ।।
जिसे हृदय से चाहना , अब तक का था काम ।
वही छोड़ मुझको यहाँ , करता है आराम ।।
पहले तो सबला बनी , इस जग की हर नार ।
जब पाया कुछ भी नहीं , तो अब करे विचार ।।
पहले पति के प्रेम की , तनिक नही परवाह ।
ढ़लती उम्र दिखला रही , पति से प्रेम अथाह ।।
पाकर झूठे प्रेम को, किया बहुत अभिमान ।
अब आया वह सामने , लिए रूप शैतान ।।
झूठे जग के लोग है , करना मत विश्वास ।
पाते अक्सर घात है , जो करते हैं आस ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- अन्न गिरे भू भाग पर , नहीं उठाते लोग । और चरण रज माथ पे , करते हैं उपयोग ।। जीवन दाता पर सभी , प्रवचन देते लोग । आये कोई सामने , करन

14 Love

ग़ज़ल :- तू जिसे है देखता वो तो पराई नार है । सीरियल से मिल रहे जो अब यहाँ संस्कार है ।। जीव हत्या कर रहा  है नाम पशुपालन दिया । ये बताता युग हमारा धर्म शिष्टाचार है ।। दूर दुनिया देख लो यह आज इतनी हो गई । मान भी लो आज पीछे चलना भी बेकार है ।। गर्व था मुझको कभी ये यह हमारा धर्म था । पर पतन की राह जाते देखूँ मैं धिक्कार है ।। खो गई मेरी जवानी सबको समझाते हुए । मैं यहीं थककर  रुका तो ये हमारी हार है ।। कर रहीं सरकार हैं अब आज ऐसे फैसले । निर्बलों की आज गर्दन पे धरी तलवार है ।। हाय मत लेना किसी की ज्ञानियों के बोल थे । देखता हूँ थाल उनकी नित्य वो आहार है ।। कुछ बिगड़ बच्चे गये तो कुछ बिलखकर सो गये । आज दोनों के पिता ही देख लो लाचार है ।। जो कभी सोये नही उनको जगाता क्यों प्रखर । जानतें है सब यहाँ पे जान का व्यापार है ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  ग़ज़ल :-
तू जिसे है देखता वो तो पराई नार है ।
सीरियल से मिल रहे जो अब यहाँ संस्कार है ।।
जीव हत्या कर रहा  है नाम पशुपालन दिया ।
ये बताता युग हमारा धर्म शिष्टाचार है ।।
दूर दुनिया देख लो यह आज इतनी हो गई ।
मान भी लो आज पीछे चलना भी बेकार है ।।
गर्व था मुझको कभी ये यह हमारा धर्म था ।
पर पतन की राह जाते देखूँ मैं धिक्कार है ।।
खो गई मेरी जवानी सबको समझाते हुए ।
मैं यहीं थककर  रुका तो ये हमारी हार है ।।
कर रहीं सरकार हैं अब आज ऐसे फैसले ।
निर्बलों की आज गर्दन पे धरी तलवार है ।।
हाय मत लेना किसी की ज्ञानियों के बोल थे ।
देखता हूँ थाल उनकी नित्य वो आहार है ।।
कुछ बिगड़ बच्चे गये तो कुछ बिलखकर सो गये ।
आज दोनों के पिता ही देख लो लाचार है ।।
जो कभी सोये नही उनको जगाता क्यों प्रखर ।
जानतें है सब यहाँ पे जान का व्यापार है ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- तू जिसे है देखता वो तो पराई नार है । सीरियल से मिल रहे जो अब यहाँ संस्कार है ।। जीव हत्या कर रहा  है नाम पशुपालन दिया । ये बताता युग

12 Love

White मनय हांसी आवय नार तेरा प्यार देखकय तू छोड़ गई मनय छोटी कार देखकय इब प्यार ना होवय चाहे दिलदार हो कोए होगी प्यार तै नफ़रत तेरा व्यहवार देखकय होगी प्यार तै नफ़रत दोगला यार देखकय ✨❣️✨😡🔭📙✍️ - Rajkumar Siwachiya ✍️♠️ ©Rajkumar Siwachiya

#rajkumarsiwachiya #summer_vacation #Jhumpa_Kalan #JhumpaKalan #Haryanvi  White  मनय हांसी आवय नार
तेरा प्यार देखकय
तू छोड़ गई मनय 
छोटी कार देखकय
इब प्यार ना होवय
चाहे दिलदार हो कोए 
होगी प्यार तै नफ़रत
तेरा व्यहवार देखकय
होगी प्यार तै नफ़रत
दोगला यार देखकय
✨❣️✨😡🔭📙✍️
- Rajkumar Siwachiya ✍️♠️

©Rajkumar Siwachiya

मनय हांसी आवय नार तेरा प्यार देखकय मनय छोड़ गई तू छोटी कार देखकय ✨❣️✨😡🔭📙✍️ - Rajkumar Siwachiya ✍️♠️ #mango #rajkumarsiwachiya #oyedesi #ha

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#nojotohindipoetry #पर्दा #दोहे #sandiprohila #nojotohindi  पर्दा (दोहे)

पर्दा पड़ता झूठ पर, हो अपयश सब ओर।
भ्रष्टाचारी का रहे, उस पर ही अब जोर।।

यह पर्दा दिखता नहीं, है फिर भी अनमोल।
जो इससे अनभिज्ञ हैं, कर न सके वो तोल।।

दूजा है पर्दा दिखे, जन मानस में ज्ञात।
करें सभी उपयोग हैं, कहने की क्या बात।।

पर्दा खिड़की में लगे, और सजाता द्वार।
पूरा घर सुंदर लगे, जाने सब नर-नार।।

दोनों का यह काम है, ढाँप सकें वो बात।
जिसे बताना है नहीं, उससे है अज्ञात।।

पर्दा उस पर क्यों पड़े, जो देता आघात।
सबको जख्मी भी करे, देता है वो मात।।

पर्दा उन पर डालिये, जो होते निर्दोष।
दंड मिले बिन पाप के, कैसे हो संतोष।।
.......................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#पर्दा #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry पर्दा (दोहे) पर्दा पड़ता झूठ पर, हो अपयश सब ओर। भ्रष्टाचारी का रहे, उस पर ही अब जोर।। यह पर्

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#भगवान #भक्ति #बुराई #प्रभु #ramnavmispecial #ramnavmi2024  White बुराई  दूर  करने  को  यहाँ  भगवान  आते  हैं ।
अधर्मी  राक्षसों  का  नाश कर पृथ्वी बचाते हैं ।l

पुराणों में  कहा  जाता धरा पर पाप बढ़ जाता l
कभी श्री कृष्ण या श्री राम बन लीला रचाते हैं ।l

धरा  पावन  बनाने  को प्रभू  सुत रूप में आए ।
लता- पत्ता  सभी  झूमें तथा नर- नार मुस्काए ।l

घड़ी थी चैत्र की नवरात्रि नवमी मात कौशिल्या l
अयोध्या राम की नगरी पिता अवधेश कहलाए ।l

                                      
ll आप सभी को रामनवमी  की हार्दिक शुभकामनाएं ll

©Shivkumar

#ramnavmi #ramnavmispecial #ramnavmi2024 #ramnavmi2025 #Nojoto #बुराई दूर करने को यहाँ #भगवान आते हैं । अधर्मी राक्षसों का #

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#अयोध्या_सज_गई #nojotohindipoetry #दोहे #sandiprohila #nojotohindi  अयोध्या सज गई (दोहे)

देख अयोध्या सज गई, आएँगे श्री राम।
राह निहारें हम सभी, सुन्दर हों सब काम।।

प्राण प्रतिष्ठा आपकी, करने को संसार।
हैं उत्साहित देखलो, झूमें सब नर-नार।।

कृपा आपकी हो जिसे, है वो ही धनवान।
राह खड़े सब आपकी, पाने को वरदान।।

भोग सभी तैयार हैं, आ जाओ भगवान।
द्वार खड़े हैं आपके, हम सब ही नादान।।

भक्ति भाव से तृप्त हों, ऐसा हो रघुनाथ।
जीवन में यश भी मिले, और आपका साथ।।
............................................................
देवेश दीक्षित
स्वरचित एवं मौलिक

©Devesh Dixit

#अयोध्या_सज_गई #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi अयोध्या सज गई (दोहे) देख अयोध्या सज गई, आएँगे श्री राम। राह निहारें हम सभी, सुन्दर ह

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