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#रचना_का_सार #गीता_ज्ञान #कविताएँ #poem✍🧡🧡💛 #mothers_day #गीत  White ......मां.....
::::::::::::::::::::।।।।।।।।।।।।।।।।। ::::::::::::::::::
मां मन्दिर है मां देवी हैं , मां भजन आरती हैं मां ही पूजा पावन।
मां दयालु हैं मां कृपालु हैं,  मां आदि अनंता हैं मां ही मनभावन।।

मां आराधना हैं मां करूणा की सागर, मां अबला कभी सबला हैं और मां जोगन बंजारन।
मां सरस्वती हैं मां महा लक्ष्मी हैं , मां पार्वती हैं मां के अनेकों उदाहरण ।।

मां सती  हैं मां सीता हैं मां मीरा और राधा। मां जननी जग कल्याणी पूरा कभी आधा।।
मां तो मां हैं दादी नानी मौसी बूआ आचार्या। मां पुत्री काकी बहन शिष्या मां प्रेमिका भार्या ।।

मां त्याग तपस्या हैं मां धरती की आंचल मां इश्क़ मोहब्बत है मां ममता की सावन।
मां श्रृष्टि की शोभा हैं मां ही जन्मदात्री,  मां ज्ञानी गुरू है मां ही सुंदर पूजारणं।।

मां मर्दानी मां भवानी हैं मानो तो स्वाभिमानी हैं ,मां सच्चाई की परम पूज्य जीत हैं ।।
मां धुंधली तस्वीर हैं पर प्रकाशित हृदय वीर हैं, मां मीत मां हित मां गीत मां प्रीत हैं ।।

मां साधना सेवा हैं मां सच्ची समर्पण।  मां अपरिभाषित हैं मां ही मानक दर्पण ।।
मां मन हैं मां नयन हैं मां जीवन की कण कण। सभी जने हैं मां के तन से मां में ही सब अर्पण।।

मां चंडी मंगलाकली भीं मां ही दाया निदानम।  मां पवित्र अग्नि ज्वाला मां प्रेम धारा शीतलम।।
मां साध्वी कोमल कल्पना मां पुष्पित छाया कानन। मां सावित्री और मां कवियत्री मां लोरी की दामन।।

मां रौशन रात्रि मां दांत्री मां प्यार के रूप उत्तम।मां बुद्धि मां विद्या मां भारती स्वरूपम।।
मां मोहिनी  ममतामयि विद्यार्थी भाव भूखम। मां गरिमा गौरी शंकर शरण में सर्वदा सुखम।।

स्वरचित:+ प्रकाश विद्यार्थी

©Prakash Vidyarthi
#भक्तिकीशक्ति #रचना_का_सार #प्रेम_रचना #कविताएँ #स्टोरी #गीतकार  White शीर्षक_- "  एहसासों के तरुवर और बूंदों के राग "
।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।
काले कलूटे उमड़ते धूमड़ते 
मेघों से हैं गगन सज़ा ।
मौसम की नई अंगड़ाई देख
 गड़गड़ाते बादल गरजा ।।

आषाढ़ श्रावण को झकझोरती
बरखा रानी व्याकुल भली।
मूर्छित पौधों को सुधा पान कराने
जैसे इश्क की गली प्रेयसी चली।।

पुरवा पवन की हिलोरती झोके 
रिमझिम बूंदे बरसने लगी।
भूखे प्यासे भूतल को जल से
तृप्त लिप्त करने लगी।।

कड़कती चमकती देख घनप्रिया को ।
भौरो के मन में लगन फाग जगा।
एकान्त शान्त बैठ कुटिया के छाव में।
जैसे दिव्य ज्योति का अनुराग लगा।।

वन उपवन सब खिल उठे 
शीतल प्रीत नीर का पाकर,।
आंधी तूफ़ान से कुछ गिरे पौधें 
भरा नदी तालाब और पोखर।।

नए उमंग अंग प्रस्फुटित हुए
लताएं शाखाएं लगे झूमने।
होने लगे खुद भाव अंकुरित 
सवाल जवाब भीं पनपने।।

शुरू हुआ सरगम का सफ़र अब 
दिल के आंगन में जैसे अगन सजा।
स्नेह धागों सा कतरो को देख
एहसासों के तरुवर भींगा।।

टिपटिप कलकल टपकते नीर से
 बुलबुले ध्यान आकर्षित किए।
रूखे सूखे आंतरिक उन्मेषो से। 
उत्पन्न तरंग संग हर्षित हुए।।

गले का गुलशन ज्ञान चमन खिला
सृजित स्वर- व्यंजन बौछारित।
गुनगुनाती गीत भाव अलाप्ति  ।
अभिलाषित नयन हुए अभिसारित ।।

 भौरों के भेष धारणकर विद्यार्थी 
कलियों के मुख मुस्कान निहारे ।
राष्ट्र भक्ति प्रेम को तरसे जीवन
 भटके मटके घने जंगल को सारे।।

बुंदो के राग सुर ताल तराने 
व्यथित मन को लगे लुभाने।
इंद्रधुनुषी नभ बहुरंगी रूपम
बारिश के मौसम भाए सुहाने ।।

स्वरचित -: प्रकाश विद्यार्थी

©Prakash Vidyarthi

Black शीर्षक - तेरा ही हाथ है कोटा, मेरे जीवन की सफलता के पीछे ------------------------------------------------------------------------- चर्मण्वती के तट पर, तू बसा है जिस तरह, अंकित है तेरा भी नाम, 1857 के गदर में। और राष्ट्र के हर हृदय में, मौजूद है तू भी, एक छोटे कानपुर के नाम से। शैक्षणिक नगरी के नाम से, तू महशूर है हर किसी की जुबां पर, बसा है तू मेरे भी आत्मा में भी, एक असीम सुख की तरह। यह मेरा जो अस्तित्व है आज, और पहुंचा हूँ जिस मुकाम पर आज, जन्मा है मेरे अन्दर जो कवि, उसका जन्मदाता तू ही है, उसका पोषक तू ही है। जब कभी भी आता हूँ मैं, तेरी इस धरती पर, नाचने लगता है मेरा मन, और निकल पड़ते हैं लबों से तरानें। जिस तरह होती है एक स्त्री की छाया, एक सफल पुरुष की सफलता के पीछे, उसी तरह तेरा ही हाथ है कोटा, मेरे जीवन की सफलता के पीछे।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- कोटा(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

#कविताएँ  #कविता  Black शीर्षक - तेरा ही हाथ है कोटा, मेरे जीवन की सफलता के पीछे
-------------------------------------------------------------------------
चर्मण्वती के तट पर, 
तू  बसा है जिस तरह,
अंकित है तेरा भी नाम,
1857 के गदर में।

और राष्ट्र के हर हृदय में,
मौजूद है तू भी,
एक छोटे कानपुर के नाम से।

शैक्षणिक नगरी के नाम से,
तू महशूर है हर किसी की जुबां पर,
बसा है तू मेरे भी आत्मा में भी,
एक असीम सुख की तरह।

 यह मेरा जो अस्तित्व है आज,
और पहुंचा हूँ जिस मुकाम पर आज,
जन्मा है मेरे अन्दर जो कवि,
उसका जन्मदाता तू ही है,
उसका पोषक तू ही है।

जब कभी भी आता हूँ मैं,
तेरी इस धरती पर,
नाचने लगता है मेरा मन,
और निकल पड़ते हैं लबों से तरानें।

जिस तरह होती है एक स्त्री की छाया,
एक सफल पुरुष की सफलता के पीछे,
उसी तरह तेरा ही हाथ है कोटा,
मेरे जीवन की सफलता के पीछे।।





शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- कोटा(राजस्थान)

©Gurudeen Verma
#पं_हरिचंद_अख़्तर #जन्म_जयंती #शायरी #उर्दू  "हमें भी आ पड़ा है दोस्तों से काम कुछ यानी 
हमारे दोस्तों के बेवफ़ा होने का वक़्त आया"

( I needed my friends' help today;
They were no friends, they turned away.)

©HintsOfHeart.

#पं_हरिचंद_अख़्तर #जन्म_जयंती #उर्दू ग़ज़ल के प्रसिद्ध कवि और पत्रकार।

108 View

#भवानी_प्रसाद_मिश्र #जन्म_जयंती #कविता  "झूठ आज से नहीं
अनन्त काल से रथ पर सवार है
और सच चल रहा है पाँव-पाँव

नदी, पहाड़, काँटे और फूल
और ऊबड़-खाबड़ रास्ते
सब सच ने जाने हैं

झूठ तो एक आसमान में उड़ता है
और उतर जाता है जहाँ चाहता है"

©HintsOfHeart.

#भवानी_प्रसाद_मिश्र #जन्म_जयंती ■ हिन्दी के प्रसिद्ध कवि तथा गांधीवादी विचारक।

135 View

#काव्यात्मकअंकुर🌱 #स्वातिकीकलमसे✍️ #कविताएँ #स्वाति #हम_तुम   किसी रोज़ सोचते हुए मैं लिखूंगी
वो यात्रा जो काल्पनिक है
हां उनको जीवंत करुंगी
साथ उनके चलते हुए
कुछ अनूठे से ही किस्से बनाएंगे
थोड़ा उन पलों को मिलकर और भी
खूबसूरत सा तो थोड़ा हसीन सा
बस वक्त के सागर में अपनी नैया को
इस तरह से पार लगाना है
रुकना नहीं इस सफ़र में
अविरल चलते ही जाना है|
#स्वाति की कलम से ✍️

©swati soni
#रचना_का_सार #गीता_ज्ञान #कविताएँ #poem✍🧡🧡💛 #mothers_day #गीत  White ......मां.....
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मां मन्दिर है मां देवी हैं , मां भजन आरती हैं मां ही पूजा पावन।
मां दयालु हैं मां कृपालु हैं,  मां आदि अनंता हैं मां ही मनभावन।।

मां आराधना हैं मां करूणा की सागर, मां अबला कभी सबला हैं और मां जोगन बंजारन।
मां सरस्वती हैं मां महा लक्ष्मी हैं , मां पार्वती हैं मां के अनेकों उदाहरण ।।

मां सती  हैं मां सीता हैं मां मीरा और राधा। मां जननी जग कल्याणी पूरा कभी आधा।।
मां तो मां हैं दादी नानी मौसी बूआ आचार्या। मां पुत्री काकी बहन शिष्या मां प्रेमिका भार्या ।।

मां त्याग तपस्या हैं मां धरती की आंचल मां इश्क़ मोहब्बत है मां ममता की सावन।
मां श्रृष्टि की शोभा हैं मां ही जन्मदात्री,  मां ज्ञानी गुरू है मां ही सुंदर पूजारणं।।

मां मर्दानी मां भवानी हैं मानो तो स्वाभिमानी हैं ,मां सच्चाई की परम पूज्य जीत हैं ।।
मां धुंधली तस्वीर हैं पर प्रकाशित हृदय वीर हैं, मां मीत मां हित मां गीत मां प्रीत हैं ।।

मां साधना सेवा हैं मां सच्ची समर्पण।  मां अपरिभाषित हैं मां ही मानक दर्पण ।।
मां मन हैं मां नयन हैं मां जीवन की कण कण। सभी जने हैं मां के तन से मां में ही सब अर्पण।।

मां चंडी मंगलाकली भीं मां ही दाया निदानम।  मां पवित्र अग्नि ज्वाला मां प्रेम धारा शीतलम।।
मां साध्वी कोमल कल्पना मां पुष्पित छाया कानन। मां सावित्री और मां कवियत्री मां लोरी की दामन।।

मां रौशन रात्रि मां दांत्री मां प्यार के रूप उत्तम।मां बुद्धि मां विद्या मां भारती स्वरूपम।।
मां मोहिनी  ममतामयि विद्यार्थी भाव भूखम। मां गरिमा गौरी शंकर शरण में सर्वदा सुखम।।

स्वरचित:+ प्रकाश विद्यार्थी

©Prakash Vidyarthi
#भक्तिकीशक्ति #रचना_का_सार #प्रेम_रचना #कविताएँ #स्टोरी #गीतकार  White शीर्षक_- "  एहसासों के तरुवर और बूंदों के राग "
।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।
काले कलूटे उमड़ते धूमड़ते 
मेघों से हैं गगन सज़ा ।
मौसम की नई अंगड़ाई देख
 गड़गड़ाते बादल गरजा ।।

आषाढ़ श्रावण को झकझोरती
बरखा रानी व्याकुल भली।
मूर्छित पौधों को सुधा पान कराने
जैसे इश्क की गली प्रेयसी चली।।

पुरवा पवन की हिलोरती झोके 
रिमझिम बूंदे बरसने लगी।
भूखे प्यासे भूतल को जल से
तृप्त लिप्त करने लगी।।

कड़कती चमकती देख घनप्रिया को ।
भौरो के मन में लगन फाग जगा।
एकान्त शान्त बैठ कुटिया के छाव में।
जैसे दिव्य ज्योति का अनुराग लगा।।

वन उपवन सब खिल उठे 
शीतल प्रीत नीर का पाकर,।
आंधी तूफ़ान से कुछ गिरे पौधें 
भरा नदी तालाब और पोखर।।

नए उमंग अंग प्रस्फुटित हुए
लताएं शाखाएं लगे झूमने।
होने लगे खुद भाव अंकुरित 
सवाल जवाब भीं पनपने।।

शुरू हुआ सरगम का सफ़र अब 
दिल के आंगन में जैसे अगन सजा।
स्नेह धागों सा कतरो को देख
एहसासों के तरुवर भींगा।।

टिपटिप कलकल टपकते नीर से
 बुलबुले ध्यान आकर्षित किए।
रूखे सूखे आंतरिक उन्मेषो से। 
उत्पन्न तरंग संग हर्षित हुए।।

गले का गुलशन ज्ञान चमन खिला
सृजित स्वर- व्यंजन बौछारित।
गुनगुनाती गीत भाव अलाप्ति  ।
अभिलाषित नयन हुए अभिसारित ।।

 भौरों के भेष धारणकर विद्यार्थी 
कलियों के मुख मुस्कान निहारे ।
राष्ट्र भक्ति प्रेम को तरसे जीवन
 भटके मटके घने जंगल को सारे।।

बुंदो के राग सुर ताल तराने 
व्यथित मन को लगे लुभाने।
इंद्रधुनुषी नभ बहुरंगी रूपम
बारिश के मौसम भाए सुहाने ।।

स्वरचित -: प्रकाश विद्यार्थी

©Prakash Vidyarthi

Black शीर्षक - तेरा ही हाथ है कोटा, मेरे जीवन की सफलता के पीछे ------------------------------------------------------------------------- चर्मण्वती के तट पर, तू बसा है जिस तरह, अंकित है तेरा भी नाम, 1857 के गदर में। और राष्ट्र के हर हृदय में, मौजूद है तू भी, एक छोटे कानपुर के नाम से। शैक्षणिक नगरी के नाम से, तू महशूर है हर किसी की जुबां पर, बसा है तू मेरे भी आत्मा में भी, एक असीम सुख की तरह। यह मेरा जो अस्तित्व है आज, और पहुंचा हूँ जिस मुकाम पर आज, जन्मा है मेरे अन्दर जो कवि, उसका जन्मदाता तू ही है, उसका पोषक तू ही है। जब कभी भी आता हूँ मैं, तेरी इस धरती पर, नाचने लगता है मेरा मन, और निकल पड़ते हैं लबों से तरानें। जिस तरह होती है एक स्त्री की छाया, एक सफल पुरुष की सफलता के पीछे, उसी तरह तेरा ही हाथ है कोटा, मेरे जीवन की सफलता के पीछे।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- कोटा(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

#कविताएँ  #कविता  Black शीर्षक - तेरा ही हाथ है कोटा, मेरे जीवन की सफलता के पीछे
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चर्मण्वती के तट पर, 
तू  बसा है जिस तरह,
अंकित है तेरा भी नाम,
1857 के गदर में।

और राष्ट्र के हर हृदय में,
मौजूद है तू भी,
एक छोटे कानपुर के नाम से।

शैक्षणिक नगरी के नाम से,
तू महशूर है हर किसी की जुबां पर,
बसा है तू मेरे भी आत्मा में भी,
एक असीम सुख की तरह।

 यह मेरा जो अस्तित्व है आज,
और पहुंचा हूँ जिस मुकाम पर आज,
जन्मा है मेरे अन्दर जो कवि,
उसका जन्मदाता तू ही है,
उसका पोषक तू ही है।

जब कभी भी आता हूँ मैं,
तेरी इस धरती पर,
नाचने लगता है मेरा मन,
और निकल पड़ते हैं लबों से तरानें।

जिस तरह होती है एक स्त्री की छाया,
एक सफल पुरुष की सफलता के पीछे,
उसी तरह तेरा ही हाथ है कोटा,
मेरे जीवन की सफलता के पीछे।।





शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- कोटा(राजस्थान)

©Gurudeen Verma
#पं_हरिचंद_अख़्तर #जन्म_जयंती #शायरी #उर्दू  "हमें भी आ पड़ा है दोस्तों से काम कुछ यानी 
हमारे दोस्तों के बेवफ़ा होने का वक़्त आया"

( I needed my friends' help today;
They were no friends, they turned away.)

©HintsOfHeart.

#पं_हरिचंद_अख़्तर #जन्म_जयंती #उर्दू ग़ज़ल के प्रसिद्ध कवि और पत्रकार।

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#भवानी_प्रसाद_मिश्र #जन्म_जयंती #कविता  "झूठ आज से नहीं
अनन्त काल से रथ पर सवार है
और सच चल रहा है पाँव-पाँव

नदी, पहाड़, काँटे और फूल
और ऊबड़-खाबड़ रास्ते
सब सच ने जाने हैं

झूठ तो एक आसमान में उड़ता है
और उतर जाता है जहाँ चाहता है"

©HintsOfHeart.

#भवानी_प्रसाद_मिश्र #जन्म_जयंती ■ हिन्दी के प्रसिद्ध कवि तथा गांधीवादी विचारक।

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#काव्यात्मकअंकुर🌱 #स्वातिकीकलमसे✍️ #कविताएँ #स्वाति #हम_तुम   किसी रोज़ सोचते हुए मैं लिखूंगी
वो यात्रा जो काल्पनिक है
हां उनको जीवंत करुंगी
साथ उनके चलते हुए
कुछ अनूठे से ही किस्से बनाएंगे
थोड़ा उन पलों को मिलकर और भी
खूबसूरत सा तो थोड़ा हसीन सा
बस वक्त के सागर में अपनी नैया को
इस तरह से पार लगाना है
रुकना नहीं इस सफ़र में
अविरल चलते ही जाना है|
#स्वाति की कलम से ✍️

©swati soni
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