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New होईल कन्यादान Status, Photo, Video

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#poetrycommunity #मराठी #tarukikalam25 #indianwriter #Trending

शीर्षक तुटलेली आशा पुनर्संचयित करण्यासाठी प्रयत्न हिन्दी अनुवाद टूटी उम्मीद को पुनः स्थापित करने का कोशिश विधा वास्तविक भाव हिन्दी अनु

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जयकरी छन्द :- आओ मिलकर कर ले योग । क्यों पालें जीवन में रोग ।। बतलाते थे घर के लोग । करके कसरत बनो निरोग ।। अब तो बस पढ़ने का काम । बन्द स्कूल में सब व्ययाम ।। आओ बैठो भज लो राम । किसे याद है प्राणायाम ।। सभी ओर दिखता संग्राम । चीख रही है जनता आम ।। कौन लिया सिंहासन थाम । कौन चुगे अब गुठली आम ।। इस जीवन में सत्य अनेक । कष्ट मगर सहता है एक ।। कविवर लेते सुंदर टेक । फिर भी बोले गीत न नेक ।। बने भवन है आलीशान । लेकिन उनके हृदय विरान ।। रोटी कपड़ा ओर मकान । करते-करते मरा किसान ।। बेटा करता मदिरा पान । बहू चाहिए गऊ समान ।। बिगड़ गये घर के सुर ताल । बड़े घरो की यह है चाल ।। देख ले ऊँचा खानदान । तब ही करना कन्यादान । दिया बहुत जिनको सम्मान । बेटी भेज दिया शमशान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  जयकरी छन्द :-

आओ मिलकर कर ले योग ।
क्यों पालें जीवन में रोग ।।
बतलाते थे घर के लोग ।
करके कसरत बनो निरोग ।।
अब तो बस पढ़ने का काम ।
बन्द स्कूल में सब व्ययाम ।।
आओ बैठो भज लो राम ।
किसे याद है प्राणायाम ।।
सभी ओर दिखता संग्राम ।
चीख रही है जनता आम ।।
कौन लिया सिंहासन थाम ।
कौन चुगे अब गुठली आम ।।
इस जीवन में सत्य अनेक ।
कष्ट मगर सहता है एक ।।
कविवर लेते सुंदर टेक ।
फिर भी बोले गीत न नेक ।।
बने भवन है आलीशान ।
लेकिन उनके हृदय विरान ।।
रोटी कपड़ा ओर मकान ।
करते-करते मरा किसान ।।
बेटा करता मदिरा पान ।
बहू चाहिए गऊ समान ।।
बिगड़ गये घर के सुर ताल ।
बड़े घरो की यह है चाल ।।
देख ले ऊँचा खानदान ।
तब ही करना कन्यादान ।
दिया बहुत जिनको सम्मान ।
बेटी भेज दिया शमशान ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

जयकरी छन्द :- आओ मिलकर कर ले योग । क्यों पालें जीवन में रोग ।। बतलाते थे घर के लोग । करके कसरत बनो निरोग ।। अब तो बस पढ़ने का काम । बन्द स्क

16 Love

#वीडियो

केसांचे गळणे तुटणे बंद होऊन केस इतके वाढतील की सांभाळणे कठीण होईल ! Kes vadhi Sathi gharguti upay

90 View

मांवा धींया दोनों दुखी, किंवे अपणा दुख वंडावण, इक ऐथे अते दूजी ओथे, पल-पल इक दूजे दा नम्बर मिलावण, इक ना खुद सोंधी, ना सोण देवे दूजी नू, होके भर भर दूरियां नपवावे, कैंदी मैं जी चुकी हां,ना जीण देवां‌ तेनूं, ऐंवे अपणा हक जमावे। ©Harvinder Ahuja

#कविता  मांवा धींया दोनों दुखी,

किंवे अपणा दुख वंडावण,

इक ऐथे अते दूजी ओथे,

पल-पल इक दूजे दा नम्बर मिलावण,

इक ना खुद सोंधी, ना सोण देवे दूजी नू,

होके भर भर दूरियां नपवावे,

कैंदी मैं जी चुकी हां,ना जीण देवां‌ तेनूं,

ऐंवे अपणा हक जमावे।

©Harvinder Ahuja

# कैसा कन्यादान

11 Love

तुमको लाया हूं ब्याह कर मैं ना मोल में तुझे खरीदा हैं तुम हो लक्ष्मी मेरे आंगन तुमसे ही घर की मर्यादा हैं तो बात गांठ यह बांध लो तुम सबको संग लेकर चलना हैं थोड़ा सा मैं ढल जाऊंगा थोड़ा तुमको भी ढलना हैं हर बात पर गुस्सा मत करना ना पहुंचाना तुम ठेस प्रिये अक्सर मत कंपेयर करना मेरा घर और परिवेश प्रियें मेरे घर को दोष तुम मत देना चाहें कोई भी कमी रहे थोड़ी बातों को भी सह लेना गर कोई रुड़ली बिहैब करे माना नाजों से पली हो तुम पर बिटिया थी उनकी बहु नही तो वैसा ही सब यहां रहे यह सोच तुम्हारी सही नही बिटिया एक घर की मर्यादा हैं पर बहु से घर मान बढ़े जिम्मेदारी बढ़ जाती हैं जब पिता उसका कन्यादान करें तो उन बढ़ती जिम्मेदारियों का मान तुम्हें रखना होगा मायके और ससुराल का सम्मान तुम्हें रखना होगा मैं वादा करता हूं तुमसे तेरा दामन सारी खुशियां भर दूंगा गर दे दो जो तुम साथ मेरा हर मंजिल फतह मैं कर लूंगा एक बात हमारी तुम सुन लो सौ बात तुम्हारी सुन लूंगा तुम हिम्मत से बस धीर धरो हर सपना पूरा कर दूंगा मैं यकीं दिलाता हूं तुमको कभी बिगड़ेगा ये माहौल नही परिवार के संग जो पल गुजरते है उनका कोई मोल नहीं ©Ankur tiwari

#फैमिली #couples  तुमको लाया हूं ब्याह कर मैं ना मोल में तुझे खरीदा हैं 
तुम हो लक्ष्मी मेरे आंगन तुमसे ही घर की मर्यादा हैं 
तो बात गांठ यह बांध लो तुम सबको संग लेकर चलना हैं 
थोड़ा सा मैं ढल जाऊंगा थोड़ा तुमको भी ढलना हैं 
हर बात पर गुस्सा मत करना ना पहुंचाना तुम ठेस प्रिये 
अक्सर मत कंपेयर करना मेरा घर और परिवेश प्रियें 
मेरे घर को दोष तुम मत देना चाहें कोई भी कमी रहे
थोड़ी बातों को भी सह लेना गर कोई रुड़ली बिहैब करे
माना नाजों से पली हो तुम पर बिटिया थी उनकी बहु नही
तो वैसा ही सब यहां रहे यह सोच तुम्हारी सही नही
बिटिया एक घर की मर्यादा हैं पर बहु से घर मान बढ़े 
जिम्मेदारी बढ़ जाती हैं जब पिता उसका कन्यादान करें 
तो उन बढ़ती जिम्मेदारियों का मान तुम्हें रखना होगा 
मायके और ससुराल का सम्मान तुम्हें रखना होगा
मैं वादा करता हूं तुमसे तेरा दामन सारी खुशियां भर दूंगा  
गर दे दो जो तुम साथ मेरा हर मंजिल फतह मैं कर लूंगा
एक बात हमारी तुम सुन लो सौ बात तुम्हारी सुन लूंगा 
तुम हिम्मत से बस धीर धरो हर सपना पूरा कर दूंगा 
मैं यकीं दिलाता हूं तुमको कभी बिगड़ेगा ये माहौल नही
 परिवार के संग जो पल गुजरते है उनका कोई मोल नहीं

©Ankur tiwari

तुमको लाया हूं ब्याह कर मैं ना मोल में तुझे खरीदा हैं तुम हो लक्ष्मी मेरे आंगन तुमसे ही घर की मर्यादा हैं तो बात गांठ यह बांध लो तुम सबको

12 Love

#वजन #Videos

15 दिवसात #वजन किलो किलोने कमी होईल ! Vajan Kami karne gharguti upay#notojo

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#poetrycommunity #मराठी #tarukikalam25 #indianwriter #Trending

शीर्षक तुटलेली आशा पुनर्संचयित करण्यासाठी प्रयत्न हिन्दी अनुवाद टूटी उम्मीद को पुनः स्थापित करने का कोशिश विधा वास्तविक भाव हिन्दी अनु

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जयकरी छन्द :- आओ मिलकर कर ले योग । क्यों पालें जीवन में रोग ।। बतलाते थे घर के लोग । करके कसरत बनो निरोग ।। अब तो बस पढ़ने का काम । बन्द स्कूल में सब व्ययाम ।। आओ बैठो भज लो राम । किसे याद है प्राणायाम ।। सभी ओर दिखता संग्राम । चीख रही है जनता आम ।। कौन लिया सिंहासन थाम । कौन चुगे अब गुठली आम ।। इस जीवन में सत्य अनेक । कष्ट मगर सहता है एक ।। कविवर लेते सुंदर टेक । फिर भी बोले गीत न नेक ।। बने भवन है आलीशान । लेकिन उनके हृदय विरान ।। रोटी कपड़ा ओर मकान । करते-करते मरा किसान ।। बेटा करता मदिरा पान । बहू चाहिए गऊ समान ।। बिगड़ गये घर के सुर ताल । बड़े घरो की यह है चाल ।। देख ले ऊँचा खानदान । तब ही करना कन्यादान । दिया बहुत जिनको सम्मान । बेटी भेज दिया शमशान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  जयकरी छन्द :-

आओ मिलकर कर ले योग ।
क्यों पालें जीवन में रोग ।।
बतलाते थे घर के लोग ।
करके कसरत बनो निरोग ।।
अब तो बस पढ़ने का काम ।
बन्द स्कूल में सब व्ययाम ।।
आओ बैठो भज लो राम ।
किसे याद है प्राणायाम ।।
सभी ओर दिखता संग्राम ।
चीख रही है जनता आम ।।
कौन लिया सिंहासन थाम ।
कौन चुगे अब गुठली आम ।।
इस जीवन में सत्य अनेक ।
कष्ट मगर सहता है एक ।।
कविवर लेते सुंदर टेक ।
फिर भी बोले गीत न नेक ।।
बने भवन है आलीशान ।
लेकिन उनके हृदय विरान ।।
रोटी कपड़ा ओर मकान ।
करते-करते मरा किसान ।।
बेटा करता मदिरा पान ।
बहू चाहिए गऊ समान ।।
बिगड़ गये घर के सुर ताल ।
बड़े घरो की यह है चाल ।।
देख ले ऊँचा खानदान ।
तब ही करना कन्यादान ।
दिया बहुत जिनको सम्मान ।
बेटी भेज दिया शमशान ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

जयकरी छन्द :- आओ मिलकर कर ले योग । क्यों पालें जीवन में रोग ।। बतलाते थे घर के लोग । करके कसरत बनो निरोग ।। अब तो बस पढ़ने का काम । बन्द स्क

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#वीडियो

केसांचे गळणे तुटणे बंद होऊन केस इतके वाढतील की सांभाळणे कठीण होईल ! Kes vadhi Sathi gharguti upay

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मांवा धींया दोनों दुखी, किंवे अपणा दुख वंडावण, इक ऐथे अते दूजी ओथे, पल-पल इक दूजे दा नम्बर मिलावण, इक ना खुद सोंधी, ना सोण देवे दूजी नू, होके भर भर दूरियां नपवावे, कैंदी मैं जी चुकी हां,ना जीण देवां‌ तेनूं, ऐंवे अपणा हक जमावे। ©Harvinder Ahuja

#कविता  मांवा धींया दोनों दुखी,

किंवे अपणा दुख वंडावण,

इक ऐथे अते दूजी ओथे,

पल-पल इक दूजे दा नम्बर मिलावण,

इक ना खुद सोंधी, ना सोण देवे दूजी नू,

होके भर भर दूरियां नपवावे,

कैंदी मैं जी चुकी हां,ना जीण देवां‌ तेनूं,

ऐंवे अपणा हक जमावे।

©Harvinder Ahuja

# कैसा कन्यादान

11 Love

तुमको लाया हूं ब्याह कर मैं ना मोल में तुझे खरीदा हैं तुम हो लक्ष्मी मेरे आंगन तुमसे ही घर की मर्यादा हैं तो बात गांठ यह बांध लो तुम सबको संग लेकर चलना हैं थोड़ा सा मैं ढल जाऊंगा थोड़ा तुमको भी ढलना हैं हर बात पर गुस्सा मत करना ना पहुंचाना तुम ठेस प्रिये अक्सर मत कंपेयर करना मेरा घर और परिवेश प्रियें मेरे घर को दोष तुम मत देना चाहें कोई भी कमी रहे थोड़ी बातों को भी सह लेना गर कोई रुड़ली बिहैब करे माना नाजों से पली हो तुम पर बिटिया थी उनकी बहु नही तो वैसा ही सब यहां रहे यह सोच तुम्हारी सही नही बिटिया एक घर की मर्यादा हैं पर बहु से घर मान बढ़े जिम्मेदारी बढ़ जाती हैं जब पिता उसका कन्यादान करें तो उन बढ़ती जिम्मेदारियों का मान तुम्हें रखना होगा मायके और ससुराल का सम्मान तुम्हें रखना होगा मैं वादा करता हूं तुमसे तेरा दामन सारी खुशियां भर दूंगा गर दे दो जो तुम साथ मेरा हर मंजिल फतह मैं कर लूंगा एक बात हमारी तुम सुन लो सौ बात तुम्हारी सुन लूंगा तुम हिम्मत से बस धीर धरो हर सपना पूरा कर दूंगा मैं यकीं दिलाता हूं तुमको कभी बिगड़ेगा ये माहौल नही परिवार के संग जो पल गुजरते है उनका कोई मोल नहीं ©Ankur tiwari

#फैमिली #couples  तुमको लाया हूं ब्याह कर मैं ना मोल में तुझे खरीदा हैं 
तुम हो लक्ष्मी मेरे आंगन तुमसे ही घर की मर्यादा हैं 
तो बात गांठ यह बांध लो तुम सबको संग लेकर चलना हैं 
थोड़ा सा मैं ढल जाऊंगा थोड़ा तुमको भी ढलना हैं 
हर बात पर गुस्सा मत करना ना पहुंचाना तुम ठेस प्रिये 
अक्सर मत कंपेयर करना मेरा घर और परिवेश प्रियें 
मेरे घर को दोष तुम मत देना चाहें कोई भी कमी रहे
थोड़ी बातों को भी सह लेना गर कोई रुड़ली बिहैब करे
माना नाजों से पली हो तुम पर बिटिया थी उनकी बहु नही
तो वैसा ही सब यहां रहे यह सोच तुम्हारी सही नही
बिटिया एक घर की मर्यादा हैं पर बहु से घर मान बढ़े 
जिम्मेदारी बढ़ जाती हैं जब पिता उसका कन्यादान करें 
तो उन बढ़ती जिम्मेदारियों का मान तुम्हें रखना होगा 
मायके और ससुराल का सम्मान तुम्हें रखना होगा
मैं वादा करता हूं तुमसे तेरा दामन सारी खुशियां भर दूंगा  
गर दे दो जो तुम साथ मेरा हर मंजिल फतह मैं कर लूंगा
एक बात हमारी तुम सुन लो सौ बात तुम्हारी सुन लूंगा 
तुम हिम्मत से बस धीर धरो हर सपना पूरा कर दूंगा 
मैं यकीं दिलाता हूं तुमको कभी बिगड़ेगा ये माहौल नही
 परिवार के संग जो पल गुजरते है उनका कोई मोल नहीं

©Ankur tiwari

तुमको लाया हूं ब्याह कर मैं ना मोल में तुझे खरीदा हैं तुम हो लक्ष्मी मेरे आंगन तुमसे ही घर की मर्यादा हैं तो बात गांठ यह बांध लो तुम सबको

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