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#शायरी

रूठना तेरा बढेगा कब तलक...पेशेखिदमत हे ग़जल

117 View

 White सहेली....
ज्ञानी होने से 
शब्द समझ आने लगते हैं..

अनुभवी होने से अर्थ...
लाला.....

©Mahesh Patel

सहेली.....अर्थ... लला....

0 View

जी-हुजूरी कब तलक, बे-श'ऊरी कब तलक, इत्तेफ़ाकन कुछ नहीं, हमसे दूरी कब तलक, बे-अदब गुस्ताख़ियाँ, बे-क़रारी कब तलक, रहनुमा गुमराह क्यों, बे-हयाई कब तलक, हाथ में खंज़र छिपा, आशनाई कब तलक, रहगुज़र अच्छी नहीं, इंतिहाई कब तलक, जब उम्मीदें ना बची, इंतज़ारी कब तलक, हो अगर मंज़िल ज़ुदा, रहनुमाई कब तलक, मची 'गुंजन'खींच तान, दुनियादारी कब तलक, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज ©Shashi Bhushan Mishra

#शायरी #जी  जी-हुजूरी कब तलक, 
बे-श'ऊरी कब तलक,

इत्तेफ़ाकन कुछ नहीं, 
हमसे दूरी कब तलक,

बे-अदब गुस्ताख़ियाँ, 
बे-क़रारी कब तलक,

रहनुमा गुमराह क्यों, 
बे-हयाई कब तलक,

हाथ में  खंज़र छिपा, 
आशनाई कब तलक,

रहगुज़र अच्छी नहीं, 
इंतिहाई कब तलक,

जब उम्मीदें ना बची, 
इंतज़ारी कब तलक,

हो अगर मंज़िल ज़ुदा, 
रहनुमाई  कब तलक,

मची 'गुंजन'खींच तान, 
दुनियादारी कब तलक, 
  --शशि भूषण मिश्र 
    'गुंजन' प्रयागराज

©Shashi Bhushan Mishra

#जी-हुजूरी कब तलक#

14 Love

जी-हुजूरी कब तलक, बे-श'ऊरी कब तलक, इत्तेफ़ाकन कुछ नहीं, हमसे दूरी कब तलक, बे-अदब गुस्ताख़ियाँ, बे-क़रारी कब तलक, रहनुमा गुमराह क्यों, बे-हयाई कब तलक, हाथ में खंज़र छिपा, आशनाई कब तलक, रहगुज़र अच्छी नहीं, इंतिहाई कब तलक, जब उम्मीदें ना बची, इंतज़ारी कब तलक, हो अगर मंज़िल ज़ुदा, रहनुमाई कब तलक, मची 'गुंजन'खींच तान, दुनियादारी कब तलक, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज ©Shashi Bhushan Mishra

#शायरी #जी  जी-हुजूरी कब तलक, 
बे-श'ऊरी कब तलक,

इत्तेफ़ाकन कुछ नहीं, 
हमसे दूरी कब तलक,

बे-अदब गुस्ताख़ियाँ, 
बे-क़रारी कब तलक,

रहनुमा गुमराह क्यों, 
बे-हयाई कब तलक,

हाथ में  खंज़र छिपा, 
आशनाई कब तलक,

रहगुज़र अच्छी नहीं, 
इंतिहाई कब तलक,

जब उम्मीदें ना बची, 
इंतज़ारी कब तलक,

हो अगर मंज़िल ज़ुदा, 
रहनुमाई  कब तलक,

मची 'गुंजन'खींच तान, 
दुनियादारी कब तलक, 
  --शशि भूषण मिश्र 
    'गुंजन' प्रयागराज

©Shashi Bhushan Mishra

#जी हुज़ूरी कब तलक#

10 Love

बंदिशे लग गईं, मेरी चलती दुकान पे। जैसे दीपक बुझ गई,इशारों की बाण से। कितनी खुद गर्ज थीं उनकी निगाहें। जिनकी पलकों ने रोक लीं बहती हवाएं। हम दवा भी दिए,हम दुआ भी किए। पर एक पल भी टिकी नही उनकी निगाहें। उनकी सांसों से सरपट दौड़ती हैं जैसे हवाएं। वैसे काजल पर न टिकती कोई भी बलाएं। जैसे कागज़ का खत दूर...दूर तलक जाए। वैसे दूर तलक मेरा मन उनके पास खींचा जाए। ©डॉ.अजय कुमार मिश्र

#कविता  बंदिशे लग गईं, मेरी चलती दुकान पे।
जैसे दीपक बुझ गई,इशारों की बाण से।
कितनी खुद गर्ज थीं उनकी निगाहें।
जिनकी पलकों ने रोक लीं बहती हवाएं।
हम दवा भी दिए,हम दुआ भी किए।
पर एक पल भी टिकी नही उनकी निगाहें।
उनकी सांसों से सरपट दौड़ती हैं जैसे हवाएं।
वैसे काजल पर न टिकती कोई भी बलाएं।
जैसे कागज़ का खत दूर...दूर तलक जाए।
वैसे दूर तलक मेरा मन उनके पास खींचा जाए।

©डॉ.अजय कुमार मिश्र

दूर तलक

13 Love

#भक्ति #Morning  Black भक्ति साधारण रूप से दो 
भागों में बाँटी जा सकती है ।
{Bolo Ji Radhey Radhey}
पहली साधन भक्ति और दूसरी 
साध्य भक्ति ।

साधन भक्ति का अर्थ होता है, 
कि मन भगवान में कैसे लगे,
भजन में कैसे लगे इसका प्रयास.

और साध्य भक्ति का अर्थ होता है,
अब मन लग गया है, अब बस 
भगवान का भजन हो और 
उनके नाम रूप गुण की चर्चा होl
अब उनसे एकत्व हो जाये ।

©N S Yadav GoldMine

#Morning भक्ति साधारण रूप से दो भागों में बाँटी जा सकती है । {Bolo Ji Radhey Radhey} पहली साधन भक्ति और दूसरी साध्य भक्ति । साधन भक्ति का

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#शायरी

रूठना तेरा बढेगा कब तलक...पेशेखिदमत हे ग़जल

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 White सहेली....
ज्ञानी होने से 
शब्द समझ आने लगते हैं..

अनुभवी होने से अर्थ...
लाला.....

©Mahesh Patel

सहेली.....अर्थ... लला....

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जी-हुजूरी कब तलक, बे-श'ऊरी कब तलक, इत्तेफ़ाकन कुछ नहीं, हमसे दूरी कब तलक, बे-अदब गुस्ताख़ियाँ, बे-क़रारी कब तलक, रहनुमा गुमराह क्यों, बे-हयाई कब तलक, हाथ में खंज़र छिपा, आशनाई कब तलक, रहगुज़र अच्छी नहीं, इंतिहाई कब तलक, जब उम्मीदें ना बची, इंतज़ारी कब तलक, हो अगर मंज़िल ज़ुदा, रहनुमाई कब तलक, मची 'गुंजन'खींच तान, दुनियादारी कब तलक, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज ©Shashi Bhushan Mishra

#शायरी #जी  जी-हुजूरी कब तलक, 
बे-श'ऊरी कब तलक,

इत्तेफ़ाकन कुछ नहीं, 
हमसे दूरी कब तलक,

बे-अदब गुस्ताख़ियाँ, 
बे-क़रारी कब तलक,

रहनुमा गुमराह क्यों, 
बे-हयाई कब तलक,

हाथ में  खंज़र छिपा, 
आशनाई कब तलक,

रहगुज़र अच्छी नहीं, 
इंतिहाई कब तलक,

जब उम्मीदें ना बची, 
इंतज़ारी कब तलक,

हो अगर मंज़िल ज़ुदा, 
रहनुमाई  कब तलक,

मची 'गुंजन'खींच तान, 
दुनियादारी कब तलक, 
  --शशि भूषण मिश्र 
    'गुंजन' प्रयागराज

©Shashi Bhushan Mishra

#जी-हुजूरी कब तलक#

14 Love

जी-हुजूरी कब तलक, बे-श'ऊरी कब तलक, इत्तेफ़ाकन कुछ नहीं, हमसे दूरी कब तलक, बे-अदब गुस्ताख़ियाँ, बे-क़रारी कब तलक, रहनुमा गुमराह क्यों, बे-हयाई कब तलक, हाथ में खंज़र छिपा, आशनाई कब तलक, रहगुज़र अच्छी नहीं, इंतिहाई कब तलक, जब उम्मीदें ना बची, इंतज़ारी कब तलक, हो अगर मंज़िल ज़ुदा, रहनुमाई कब तलक, मची 'गुंजन'खींच तान, दुनियादारी कब तलक, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज ©Shashi Bhushan Mishra

#शायरी #जी  जी-हुजूरी कब तलक, 
बे-श'ऊरी कब तलक,

इत्तेफ़ाकन कुछ नहीं, 
हमसे दूरी कब तलक,

बे-अदब गुस्ताख़ियाँ, 
बे-क़रारी कब तलक,

रहनुमा गुमराह क्यों, 
बे-हयाई कब तलक,

हाथ में  खंज़र छिपा, 
आशनाई कब तलक,

रहगुज़र अच्छी नहीं, 
इंतिहाई कब तलक,

जब उम्मीदें ना बची, 
इंतज़ारी कब तलक,

हो अगर मंज़िल ज़ुदा, 
रहनुमाई  कब तलक,

मची 'गुंजन'खींच तान, 
दुनियादारी कब तलक, 
  --शशि भूषण मिश्र 
    'गुंजन' प्रयागराज

©Shashi Bhushan Mishra

#जी हुज़ूरी कब तलक#

10 Love

बंदिशे लग गईं, मेरी चलती दुकान पे। जैसे दीपक बुझ गई,इशारों की बाण से। कितनी खुद गर्ज थीं उनकी निगाहें। जिनकी पलकों ने रोक लीं बहती हवाएं। हम दवा भी दिए,हम दुआ भी किए। पर एक पल भी टिकी नही उनकी निगाहें। उनकी सांसों से सरपट दौड़ती हैं जैसे हवाएं। वैसे काजल पर न टिकती कोई भी बलाएं। जैसे कागज़ का खत दूर...दूर तलक जाए। वैसे दूर तलक मेरा मन उनके पास खींचा जाए। ©डॉ.अजय कुमार मिश्र

#कविता  बंदिशे लग गईं, मेरी चलती दुकान पे।
जैसे दीपक बुझ गई,इशारों की बाण से।
कितनी खुद गर्ज थीं उनकी निगाहें।
जिनकी पलकों ने रोक लीं बहती हवाएं।
हम दवा भी दिए,हम दुआ भी किए।
पर एक पल भी टिकी नही उनकी निगाहें।
उनकी सांसों से सरपट दौड़ती हैं जैसे हवाएं।
वैसे काजल पर न टिकती कोई भी बलाएं।
जैसे कागज़ का खत दूर...दूर तलक जाए।
वैसे दूर तलक मेरा मन उनके पास खींचा जाए।

©डॉ.अजय कुमार मिश्र

दूर तलक

13 Love

#भक्ति #Morning  Black भक्ति साधारण रूप से दो 
भागों में बाँटी जा सकती है ।
{Bolo Ji Radhey Radhey}
पहली साधन भक्ति और दूसरी 
साध्य भक्ति ।

साधन भक्ति का अर्थ होता है, 
कि मन भगवान में कैसे लगे,
भजन में कैसे लगे इसका प्रयास.

और साध्य भक्ति का अर्थ होता है,
अब मन लग गया है, अब बस 
भगवान का भजन हो और 
उनके नाम रूप गुण की चर्चा होl
अब उनसे एकत्व हो जाये ।

©N S Yadav GoldMine

#Morning भक्ति साधारण रूप से दो भागों में बाँटी जा सकती है । {Bolo Ji Radhey Radhey} पहली साधन भक्ति और दूसरी साध्य भक्ति । साधन भक्ति का

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