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White दोहा :- ये जो तेरी आँख में , भर आया है नीर । बिन इसके संसार में , खूब उठेगी पीर ।। संकट ये गंभीर है , मानो मेरी बात । बूँद-बूँद से भर घड़ा , आयी है बरसात ।। रोते फिरते आज जो, नही पास व्यापार । बैठे-बैठै लोग वह , वृक्ष करें तैयार ।। काम बड़ा छोटा नहीं , करो समय से काम । याद रखें ये आप भी , साथ रहें श्री राम ।। अधिक हुआ विज्ञान अब , आगे दिखे विनाश । सोच-सोच मानव सभी , होने लगे निराश ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  White दोहा :-

ये जो तेरी आँख में , भर आया है नीर ।
बिन इसके संसार में , खूब उठेगी पीर ।।

संकट ये गंभीर है , मानो मेरी बात ।
बूँद-बूँद से भर घड़ा , आयी है बरसात ।।

रोते फिरते आज जो, नही पास व्यापार ।
बैठे-बैठै लोग वह , वृक्ष करें तैयार ।।

काम बड़ा छोटा नहीं , करो समय से काम ।
याद रखें ये आप भी , साथ रहें श्री राम ।।

अधिक हुआ विज्ञान अब , आगे दिखे विनाश ।
सोच-सोच मानव सभी , होने लगे निराश ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- ये जो तेरी आँख में , भर आया है नीर । बिन इसके संसार में , खूब उठेगी पीर ।। संकट ये गंभीर है , मानो मेरी बात । बूँद-बूँद से भर घड़ा

11 Love

#SAD

सरकार द्वारा पेड़ों की कटाई और कुछ लोग कहते फिरते पेड़ लगाओ यहां लाखों की संख्या में पेड़ काटे जा रहे हैं इनको तो रोक लो

144 View

गोपी छन्द :-  बसा लें चलकर हम बस्ती । धरा इतनी न हुई सस्ती ।। प्रेम की जग में हो पूजा । नही पथ कोई हो दूजा ।। तपन सूरज की है भारी । झेलती दुनिया है सारी ।। हुए बेहाल जीव सारे । बरसते तन पे अंगारे ।। बने सज्जन हो तुम फिरते । बात भी मीठी हो करते ।। अधर पे सिर्फ टिकी लाली । हृदय में बस तेरे गाली ।। शोक उनका हो क्यों करते । पथिक बनकर जो हैं रहते ।। प्रखर यही राम की माया । नेह छोड़ो ये तन छाया ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  गोपी छन्द :- 

बसा लें चलकर हम बस्ती ।
धरा इतनी न हुई सस्ती ।।
प्रेम की जग में हो पूजा ।
नही पथ कोई हो दूजा ।।

तपन सूरज की है भारी ।
झेलती दुनिया है सारी ।।
हुए बेहाल जीव सारे ।
बरसते तन पे अंगारे ।।

बने सज्जन हो तुम फिरते ।
बात भी मीठी हो करते ।।
अधर पे सिर्फ टिकी लाली ।
हृदय में बस तेरे गाली ।।

शोक उनका हो क्यों करते ।
पथिक बनकर जो हैं रहते ।।
प्रखर यही राम की माया ।
नेह छोड़ो ये तन छाया ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गोपी छन्द :-  बसा लें चलकर हम बस्ती । धरा इतनी न हुई सस्ती ।। प्रेम की जग में हो पूजा ।

10 Love

White झूठ फ़रेब के ताने-बाने, बनते फिरते लोग सयाने, ख़ुदगर्जी है आदत उनकी, औरों की ख़ातिर पैमाने, भाग खड़े होते मौके पर, करते फिरते झूठ बयाने, औरों पर रखते निगाह जो, करे गलत जाने-अनजाने, शक की सूई बचाती आई, लोग समझते जाने-माने, करतब जग-जाहिर होने पे, रोज बदलते नये ठिकाने, कर्मों का फल पड़े भुगतना, 'गुंजन' यहाँ न चले बहाने, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ• प्र • ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #बनते  White झूठ फ़रेब के ताने-बाने, 
बनते फिरते लोग सयाने, 

ख़ुदगर्जी है आदत उनकी, 
औरों  की ख़ातिर  पैमाने,

भाग खड़े होते  मौके पर, 
करते फिरते  झूठ बयाने,

औरों पर रखते निगाह जो, 
करे गलत जाने-अनजाने,

शक की सूई बचाती आई, 
लोग  समझते  जाने-माने,

करतब जग-जाहिर होने पे,
रोज बदलते  नये  ठिकाने,

कर्मों का फल पड़े भुगतना, 
'गुंजन' यहाँ  न चले  बहाने,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
      प्रयागराज उ• प्र •

©Shashi Bhushan Mishra

#बनते फिरते लोग सयाने#

12 Love

#शायरी

✍🏿धुप के बहाने चेहरा छुपाये फिरते हो 😊💕💕

153 View

#विचार

क्या चलती फिरते हनुमान चालीसा का पाठ कर सकते हैं#@manai'sway

90 View

White दोहा :- ये जो तेरी आँख में , भर आया है नीर । बिन इसके संसार में , खूब उठेगी पीर ।। संकट ये गंभीर है , मानो मेरी बात । बूँद-बूँद से भर घड़ा , आयी है बरसात ।। रोते फिरते आज जो, नही पास व्यापार । बैठे-बैठै लोग वह , वृक्ष करें तैयार ।। काम बड़ा छोटा नहीं , करो समय से काम । याद रखें ये आप भी , साथ रहें श्री राम ।। अधिक हुआ विज्ञान अब , आगे दिखे विनाश । सोच-सोच मानव सभी , होने लगे निराश ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  White दोहा :-

ये जो तेरी आँख में , भर आया है नीर ।
बिन इसके संसार में , खूब उठेगी पीर ।।

संकट ये गंभीर है , मानो मेरी बात ।
बूँद-बूँद से भर घड़ा , आयी है बरसात ।।

रोते फिरते आज जो, नही पास व्यापार ।
बैठे-बैठै लोग वह , वृक्ष करें तैयार ।।

काम बड़ा छोटा नहीं , करो समय से काम ।
याद रखें ये आप भी , साथ रहें श्री राम ।।

अधिक हुआ विज्ञान अब , आगे दिखे विनाश ।
सोच-सोच मानव सभी , होने लगे निराश ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- ये जो तेरी आँख में , भर आया है नीर । बिन इसके संसार में , खूब उठेगी पीर ।। संकट ये गंभीर है , मानो मेरी बात । बूँद-बूँद से भर घड़ा

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#SAD

सरकार द्वारा पेड़ों की कटाई और कुछ लोग कहते फिरते पेड़ लगाओ यहां लाखों की संख्या में पेड़ काटे जा रहे हैं इनको तो रोक लो

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गोपी छन्द :-  बसा लें चलकर हम बस्ती । धरा इतनी न हुई सस्ती ।। प्रेम की जग में हो पूजा । नही पथ कोई हो दूजा ।। तपन सूरज की है भारी । झेलती दुनिया है सारी ।। हुए बेहाल जीव सारे । बरसते तन पे अंगारे ।। बने सज्जन हो तुम फिरते । बात भी मीठी हो करते ।। अधर पे सिर्फ टिकी लाली । हृदय में बस तेरे गाली ।। शोक उनका हो क्यों करते । पथिक बनकर जो हैं रहते ।। प्रखर यही राम की माया । नेह छोड़ो ये तन छाया ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  गोपी छन्द :- 

बसा लें चलकर हम बस्ती ।
धरा इतनी न हुई सस्ती ।।
प्रेम की जग में हो पूजा ।
नही पथ कोई हो दूजा ।।

तपन सूरज की है भारी ।
झेलती दुनिया है सारी ।।
हुए बेहाल जीव सारे ।
बरसते तन पे अंगारे ।।

बने सज्जन हो तुम फिरते ।
बात भी मीठी हो करते ।।
अधर पे सिर्फ टिकी लाली ।
हृदय में बस तेरे गाली ।।

शोक उनका हो क्यों करते ।
पथिक बनकर जो हैं रहते ।।
प्रखर यही राम की माया ।
नेह छोड़ो ये तन छाया ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गोपी छन्द :-  बसा लें चलकर हम बस्ती । धरा इतनी न हुई सस्ती ।। प्रेम की जग में हो पूजा ।

10 Love

White झूठ फ़रेब के ताने-बाने, बनते फिरते लोग सयाने, ख़ुदगर्जी है आदत उनकी, औरों की ख़ातिर पैमाने, भाग खड़े होते मौके पर, करते फिरते झूठ बयाने, औरों पर रखते निगाह जो, करे गलत जाने-अनजाने, शक की सूई बचाती आई, लोग समझते जाने-माने, करतब जग-जाहिर होने पे, रोज बदलते नये ठिकाने, कर्मों का फल पड़े भुगतना, 'गुंजन' यहाँ न चले बहाने, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ• प्र • ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #बनते  White झूठ फ़रेब के ताने-बाने, 
बनते फिरते लोग सयाने, 

ख़ुदगर्जी है आदत उनकी, 
औरों  की ख़ातिर  पैमाने,

भाग खड़े होते  मौके पर, 
करते फिरते  झूठ बयाने,

औरों पर रखते निगाह जो, 
करे गलत जाने-अनजाने,

शक की सूई बचाती आई, 
लोग  समझते  जाने-माने,

करतब जग-जाहिर होने पे,
रोज बदलते  नये  ठिकाने,

कर्मों का फल पड़े भुगतना, 
'गुंजन' यहाँ  न चले  बहाने,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
      प्रयागराज उ• प्र •

©Shashi Bhushan Mishra

#बनते फिरते लोग सयाने#

12 Love

#शायरी

✍🏿धुप के बहाने चेहरा छुपाये फिरते हो 😊💕💕

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#विचार

क्या चलती फिरते हनुमान चालीसा का पाठ कर सकते हैं#@manai'sway

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