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New अर्धांगिनी कविता Status, Photo, Video

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#शायरी  ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए,
भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए।

पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई,
लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए।

बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी,
सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए।

उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं,
दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए।

थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने।
चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए।

                                   कवि-शिव गोपाल अवस्थी

©Shiv gopal awasthi

कविता

99 View

,,,,,,,,,,,,,,,,,,, ©Harsh Sharma

 ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

©Harsh Sharma

#कविता

16 Love

#कविता

कविता

432 View

 अर्धांगिनी अर्ध है प्यार का
 1111111111111111111111111111
 शादी की सालगिरह पर बहुत-बहुत बधाई है ,
अर्धांगिनी   नहीं , लक्ष्मी   घर   आई  है,
खामोशियां  नहीं  खुशियां  घर  लाई है।
मुर्झाए चेहरों पर मुस्कराहट लुटा रही है,
बिगड़ैल  पति को प्यार से संवार रही है।
अर्धांगिनी अर्ध है प्यार का ,
जन्म  दाता  है  तुम्हारे  संहार  का।
आज का दिन बहुत खाश है इतिहास बना लो,
पत्नी जिंदगी कि सांस है , तन में बसा लो।
वक्त  चक्र है मिलकर संस्कृति बचालो।।
मालाकार  संस्कार  है हर  पंक्ति  का,
पति - पत्नी के सात्विक शक्ति का।
एक हाथ में गुलाब दुसरे में कमल थाम लो,
मन से प्यार , दिल से भाजपा को मान लो।
घर भी चमकाएंगे , देश भी चमकाएंगे यह ठान लो।
प्यार  दूसरों  के घर से चलकर  तुम्हारे घर आई है,
माता पिता भाई बहन को रुलाकर तुम्हें हंसाई है।
तुम्हें  भगवान  मान  कर तुम्हारा  घर  बसाई है,
शादी की सालगिरह पर बहुत-बहुत बधाई है।।
#########################
   कवि - प्रमोद मालाकार

©pramod malakar

#अर्धांगिनी अर्ध है प्यार का।

117 View

#कविता

14,238 View

 में थी और शायद तू भी…
शायद एक सांस के फासले पर खड़ा
शायद एक नज़र के अँधेरे पे बैठा
शायद एहसास के एक मोड़ पर चल रहा
पर वह
पुराने-ऐतिहासिक समय की बात है

©Saroj Patwa

#कविता

198 View

#शायरी  ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए,
भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए।

पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई,
लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए।

बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी,
सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए।

उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं,
दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए।

थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने।
चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए।

                                   कवि-शिव गोपाल अवस्थी

©Shiv gopal awasthi

कविता

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,,,,,,,,,,,,,,,,,,, ©Harsh Sharma

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©Harsh Sharma

#कविता

16 Love

#कविता

कविता

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 अर्धांगिनी अर्ध है प्यार का
 1111111111111111111111111111
 शादी की सालगिरह पर बहुत-बहुत बधाई है ,
अर्धांगिनी   नहीं , लक्ष्मी   घर   आई  है,
खामोशियां  नहीं  खुशियां  घर  लाई है।
मुर्झाए चेहरों पर मुस्कराहट लुटा रही है,
बिगड़ैल  पति को प्यार से संवार रही है।
अर्धांगिनी अर्ध है प्यार का ,
जन्म  दाता  है  तुम्हारे  संहार  का।
आज का दिन बहुत खाश है इतिहास बना लो,
पत्नी जिंदगी कि सांस है , तन में बसा लो।
वक्त  चक्र है मिलकर संस्कृति बचालो।।
मालाकार  संस्कार  है हर  पंक्ति  का,
पति - पत्नी के सात्विक शक्ति का।
एक हाथ में गुलाब दुसरे में कमल थाम लो,
मन से प्यार , दिल से भाजपा को मान लो।
घर भी चमकाएंगे , देश भी चमकाएंगे यह ठान लो।
प्यार  दूसरों  के घर से चलकर  तुम्हारे घर आई है,
माता पिता भाई बहन को रुलाकर तुम्हें हंसाई है।
तुम्हें  भगवान  मान  कर तुम्हारा  घर  बसाई है,
शादी की सालगिरह पर बहुत-बहुत बधाई है।।
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   कवि - प्रमोद मालाकार

©pramod malakar

#अर्धांगिनी अर्ध है प्यार का।

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#कविता

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 में थी और शायद तू भी…
शायद एक सांस के फासले पर खड़ा
शायद एक नज़र के अँधेरे पे बैठा
शायद एहसास के एक मोड़ पर चल रहा
पर वह
पुराने-ऐतिहासिक समय की बात है

©Saroj Patwa

#कविता

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