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White ठीक सोलहवें साल आया है तुमपे यौवन कमाल आया है उफ़! ये रस से भरे कुँआरे होठ रंग जिनपर कि लाल आया है ©Ghumnam Gautam

#शायरी #ghumnamgautam #सोलह #यौवन #रंग  White ठीक सोलहवें साल आया है
तुमपे यौवन कमाल आया है

उफ़! ये रस से भरे कुँआरे होठ
रंग जिनपर कि लाल आया है

©Ghumnam Gautam
#कविता #काव्य

#काव्य रस

135 View

#Couple  White वो दिल किस काम ❤️
का जिसमें ख्याल 
न हो आपका...❤️!

©Dr Anoop

#Couple वो दिल किस काम का जिसमें ख्याल न हो आपका...! @Sangeet...

288 View

#अभिमान #कविता  अलग अलग प्रकार के व्यंजन
जो तु मंहगे-मंहगे होटलों में खाता है
हमें देखकर जो तु घिन्नाता है
उगाते है उन फसलों को
ये घिन्नौने हाथ ही
तो बता न
इन घिन्नौने हाथों पर
अभिमान क्यों न हो? 

बड़े- बडे मकानों में
जो तु आराम फर्माता है
देख हमारी झोपड़ी जो तु इसे धब्बा बताता है
बनाते हैं उन मकानों को
ये धब्बिले हाथ ही
तो बता न
इन धब्बिले हाथों पर
अभिमान क्यों न हो? 

मंहगे मंहगे कपड़े पहन
जो तु इठलाता है
देख मैले कुच्चे कपडो को हमारी
जो तु निच दृष्टि डालता है
बुनते है उन कपडो को
ये मैले कुचले हाथ ही
तो बता न
इन मैले कुचले हाथों पर
अभिमान क्यों न हो? 

तेरा पेट भरते है
तुझे स्वच्छ, स्वस्थ्य रखते हैं
महलों में बिठा तुझे , खुद झोपड़ी में रहते हैं
गाड़ी में बिठा तुझे, खुद पैदल ही चलते हैं
खुदपर अभिमान करते नहीं 
       लेकिन
तुम भी सम्मान करते नहीं

तुम्हारी नजरों में जब हमारा सम्मान नही
तो बता अभिमान क्यों नहीं?

©कलम की दुनिया

#अभिमान क्यों न हो

144 View

#शायरी

वो गाँव ही क्या,जिसकी सड़क कच्ची न हो। सुना सुना लगता है वो आंगन, जिसमें बच्चे न हो।

90 View

White हो न मुलाकात ऐसी, बेवज़ह की बात जैसी, चाँदनी सी हमसफ़र हो, पूर्णिमा के रात जैसी, हो मिलन का वक़्त लंबा, दिवस के शुरुआत जैसी, बोल कड़वे लगे सबको, हृदय पर आघात जैसी, दर्द और मुस्कान दोनों, हम-नवा दिन-रात जैसी, बिन लड़े ही हार जाना, कष्टप्रद है मात जैसी, बेबसी क्या चीज 'गुंजन', गरीबों के खाट जैसी, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #हो  White हो  न  मुलाकात ऐसी, 
बेवज़ह की बात जैसी,

चाँदनी सी हमसफ़र हो, 
पूर्णिमा  के  रात  जैसी,

हो मिलन का वक़्त लंबा, 
दिवस के शुरुआत जैसी,

बोल  कड़वे  लगे सबको, 
हृदय  पर  आघात  जैसी,

दर्द  और  मुस्कान  दोनों, 
हम-नवा  दिन-रात जैसी,

बिन  लड़े ही  हार  जाना, 
कष्टप्रद   है   मात  जैसी,

बेबसी क्या चीज 'गुंजन', 
गरीबों  के  खाट   जैसी,
  --शशि भूषण मिश्र 
      'गुंजन' चेन्नई

©Shashi Bhushan Mishra

#हो न मुलाक़ात ऐसी#

13 Love

White ठीक सोलहवें साल आया है तुमपे यौवन कमाल आया है उफ़! ये रस से भरे कुँआरे होठ रंग जिनपर कि लाल आया है ©Ghumnam Gautam

#शायरी #ghumnamgautam #सोलह #यौवन #रंग  White ठीक सोलहवें साल आया है
तुमपे यौवन कमाल आया है

उफ़! ये रस से भरे कुँआरे होठ
रंग जिनपर कि लाल आया है

©Ghumnam Gautam
#कविता #काव्य

#काव्य रस

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#Couple  White वो दिल किस काम ❤️
का जिसमें ख्याल 
न हो आपका...❤️!

©Dr Anoop

#Couple वो दिल किस काम का जिसमें ख्याल न हो आपका...! @Sangeet...

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#अभिमान #कविता  अलग अलग प्रकार के व्यंजन
जो तु मंहगे-मंहगे होटलों में खाता है
हमें देखकर जो तु घिन्नाता है
उगाते है उन फसलों को
ये घिन्नौने हाथ ही
तो बता न
इन घिन्नौने हाथों पर
अभिमान क्यों न हो? 

बड़े- बडे मकानों में
जो तु आराम फर्माता है
देख हमारी झोपड़ी जो तु इसे धब्बा बताता है
बनाते हैं उन मकानों को
ये धब्बिले हाथ ही
तो बता न
इन धब्बिले हाथों पर
अभिमान क्यों न हो? 

मंहगे मंहगे कपड़े पहन
जो तु इठलाता है
देख मैले कुच्चे कपडो को हमारी
जो तु निच दृष्टि डालता है
बुनते है उन कपडो को
ये मैले कुचले हाथ ही
तो बता न
इन मैले कुचले हाथों पर
अभिमान क्यों न हो? 

तेरा पेट भरते है
तुझे स्वच्छ, स्वस्थ्य रखते हैं
महलों में बिठा तुझे , खुद झोपड़ी में रहते हैं
गाड़ी में बिठा तुझे, खुद पैदल ही चलते हैं
खुदपर अभिमान करते नहीं 
       लेकिन
तुम भी सम्मान करते नहीं

तुम्हारी नजरों में जब हमारा सम्मान नही
तो बता अभिमान क्यों नहीं?

©कलम की दुनिया

#अभिमान क्यों न हो

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#शायरी

वो गाँव ही क्या,जिसकी सड़क कच्ची न हो। सुना सुना लगता है वो आंगन, जिसमें बच्चे न हो।

90 View

White हो न मुलाकात ऐसी, बेवज़ह की बात जैसी, चाँदनी सी हमसफ़र हो, पूर्णिमा के रात जैसी, हो मिलन का वक़्त लंबा, दिवस के शुरुआत जैसी, बोल कड़वे लगे सबको, हृदय पर आघात जैसी, दर्द और मुस्कान दोनों, हम-नवा दिन-रात जैसी, बिन लड़े ही हार जाना, कष्टप्रद है मात जैसी, बेबसी क्या चीज 'गुंजन', गरीबों के खाट जैसी, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #हो  White हो  न  मुलाकात ऐसी, 
बेवज़ह की बात जैसी,

चाँदनी सी हमसफ़र हो, 
पूर्णिमा  के  रात  जैसी,

हो मिलन का वक़्त लंबा, 
दिवस के शुरुआत जैसी,

बोल  कड़वे  लगे सबको, 
हृदय  पर  आघात  जैसी,

दर्द  और  मुस्कान  दोनों, 
हम-नवा  दिन-रात जैसी,

बिन  लड़े ही  हार  जाना, 
कष्टप्रद   है   मात  जैसी,

बेबसी क्या चीज 'गुंजन', 
गरीबों  के  खाट   जैसी,
  --शशि भूषण मिश्र 
      'गुंजन' चेन्नई

©Shashi Bhushan Mishra

#हो न मुलाक़ात ऐसी#

13 Love

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