क्यूँ तेरे दुख पर अब भी अश्क बहाती हूँ। क्यूँ तेर | हिंदी शायरी

"क्यूँ तेरे दुख पर अब भी अश्क बहाती हूँ। क्यूँ तेरी यादों से अब भी खुद को बहलाती हूँ। क्या सच में सच कहते हैं लोग कि आज भी तुझे बेइंतहा चाहती हूँ।"

 क्यूँ तेरे दुख पर 
अब भी अश्क बहाती हूँ।
क्यूँ तेरी यादों से
अब भी खुद को बहलाती हूँ।
क्या सच में सच 
कहते हैं लोग
कि आज भी तुझे
बेइंतहा चाहती हूँ।

क्यूँ तेरे दुख पर अब भी अश्क बहाती हूँ। क्यूँ तेरी यादों से अब भी खुद को बहलाती हूँ। क्या सच में सच कहते हैं लोग कि आज भी तुझे बेइंतहा चाहती हूँ।

#nojoto @Dipti Singh @Sanjeev Shukla @amanpreet_kaur @rajni singh @Manvendra Singh

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