बचपन और लड़ाई वो बचपन का प्यार ,वो बचपन की लड़ाई
सुबह झगड़ते थें, शाम को फिर भाई भाई
मस्ती होती थी ज्यादा,थोड़ी सी होती पढ़ाई
मेरी खातिर उसने कई दफा मार खाई,
आज फिर मेरी आंखे भर आई,
फीर से याद आया, वो बचपन और लड़ाई।
#OpenPoetry सबकी आंखो का तारा बनूं
ये चाहत है मेरी,
सिर्फ और सिर्फ तुम्हारा बनूं
ये चाहत है मेरी,
अपने मां बाप का सहारा बनूं
ये चाहत है मेरी,
अपने साथ साथ मेरे अपनों के सपने पूरे करूं
देश की रक्षा करूं, शहीद होकर मरूं
हो जहां जरूरत मेरी ,ना करूं मै देरी ,
बस,इतनी सी चाहत है मेरी
ये चाहत है मेरी।
एहसान हर खुशी पे उसकी खुद को कुर्बान किया
मैंने हर खुशी का कारण, उसिको मान लिया
उसने मेरी मोहब्बत को जाने क्यों बदनाम किया
यूं इश्क़ किया उसने ,जैसे एहसान किया।
तुझको तो भुला ना सकेंगे, पर खुद को भूल जाएंगे
हम वो नहीं जो यादों में तेरी आंसू बहाएंगे,
तुमने कितनी आसानी से कहा तुम भी घर बसा लेना
किसी और की मांग सजाएं, उससे बेहतर हम मर जाएंगे।
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