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New 'अभिव्यक्ति की आजादी पर कविता' Status, Photo, Video

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#डर  आज हमनें डर से मुलाकात कर ली।
उसके दर पे या आंखो में आंखो डाल बात कर ली।
यूंही बैठे थे सहमे से, 
आज दरिया से ही खुद के लिए गुजारिश करली।
बात तो कोई बड़ी नही थी,
कुछ इतने भी डरावने हालात ना थे,
ना जाने क्यों बेवजह अनमोल घडिया बर्बाद कर ली।

©Ramnik

#डर से आजादी#

81 View

#CheerfulLove  झीलें क्या है......उसकी आंखें

#CheerfulLove अरूण आनंद सर की कविता ....

108 View

 मन कि व्यथा मन ही जाने,
ना तुम जान सको न मैं जानू
क्या मन करवाये क्यू करवाये ये मन
ना तुम जान सको ना हि मैं जानू..
बेधड़क बोलता हूं,बेखौफ बोलता हूं
रिस्तो के बन्धन को कान्टों पर तोलता हूं
जिसके पास जितना पैसा, उसी कि सरकार है
बाकि बेकारो के लिये बेकार परिवार है,..!
बाकि ये सब क्यूं बनाया भगवान ने
ना तुम जान सके ना हि मैं जानू..!
मन की व्यथा..मन हि जाने..!!

©SHI.V.A 369

#मन की व्यथा..!! #कविता मन की

198 View

#पौराणिककथा #shaheeddiwas  माँ भारती  पर आतंकवाद रिश्वतखोरी गद्दारी  के दाग  लगाने वालों , वतन  की  आबरू लूटने वालों, मत शर्मिंदा करो वतन के लिए हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूमने  वालों को , आजादी की चिंगारी  जलाने वालों को,   आजादी  के  लिए मर मिटने वालों को  , वो भी किसी मां के लाल, किसी की राखी , किसी का इश्क ए तमन्ना थे , पर वे स्वार्थी नहीं थे , जुनून था वतन के लिए  मर  मिटने  का .आप उनके जैसी कुर्बानी नहीं दे सकते तो कम से कम उनकी कुर्बानियों की लाज  रखने का  सलीका सीखिए ,  शहीदों की रूहों को मिले सुकून ऐसे तरीक़े सीखिए   अपनी ही बनाई  जंजीरों की गुलामी,  गुमनामी , नशे  से खुद को आजाद कीजिए और वतन को आबाद कीजिए,  जय हिंद

©Rajni Vijay singla

#shaheeddiwas आजादी का सलीका

126 View

#अभिव्यक्ति #शायरी  श्रेष्ठ और सुंदर शब्दों से प्रकट की गई अभिव्यक्ति,
बनाती और बढ़ाती है प्रत्येक व्यक्ति की आत्म शक्ति।
सटीक अभिव्यक्ति से ही मिलता है जग में सम्मान,
क्योंकि मंशा नहीं अभिव्यक्ति पर जाए सबका ध्यान।

©Amit Singhal "Aseemit"
#कविता #LongRoad  घर से दूर घर की याद बहुत आती है। 
सुबह तो भाग दौड़ मे निकल जाती, 
शाम संग यादों का कारवां लाती है, 
घर से दूर घर की याद बहुत आती है। 

सब कुछ है इस शहर मे, 
बस अपनापन नही, कोई अपना नही
करवटें बदलती रातों मे माँ की आँचल..। 
जरा सा तबियत बिगड़ जाने पे, 
पापा का वो हलचल... 
गाँव का वो डॉक्टर... 
जब खाना पकाते वक्त कभी अचानक से
जब अंगुली जल जाती है, 
खाना बन गया है आके खालो ये आवाज 
कान से होकर आँखों तक आ जाती है... 
बस मे धक्के खाते वक्त 
पापा का बाईक से  स्कूल  छोड़नी याद आती है। 
बड़े हो जाने पर बचपन की याद सताती है। 
घर से दूर घर की याद बहुत आती है।।

©r̴i̴t̴i̴k̴a̴ shukla

#LongRoad कविता # घर की याद...

1,710 View

#डर  आज हमनें डर से मुलाकात कर ली।
उसके दर पे या आंखो में आंखो डाल बात कर ली।
यूंही बैठे थे सहमे से, 
आज दरिया से ही खुद के लिए गुजारिश करली।
बात तो कोई बड़ी नही थी,
कुछ इतने भी डरावने हालात ना थे,
ना जाने क्यों बेवजह अनमोल घडिया बर्बाद कर ली।

©Ramnik

#डर से आजादी#

81 View

#CheerfulLove  झीलें क्या है......उसकी आंखें

#CheerfulLove अरूण आनंद सर की कविता ....

108 View

 मन कि व्यथा मन ही जाने,
ना तुम जान सको न मैं जानू
क्या मन करवाये क्यू करवाये ये मन
ना तुम जान सको ना हि मैं जानू..
बेधड़क बोलता हूं,बेखौफ बोलता हूं
रिस्तो के बन्धन को कान्टों पर तोलता हूं
जिसके पास जितना पैसा, उसी कि सरकार है
बाकि बेकारो के लिये बेकार परिवार है,..!
बाकि ये सब क्यूं बनाया भगवान ने
ना तुम जान सके ना हि मैं जानू..!
मन की व्यथा..मन हि जाने..!!

©SHI.V.A 369

#मन की व्यथा..!! #कविता मन की

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#पौराणिककथा #shaheeddiwas  माँ भारती  पर आतंकवाद रिश्वतखोरी गद्दारी  के दाग  लगाने वालों , वतन  की  आबरू लूटने वालों, मत शर्मिंदा करो वतन के लिए हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूमने  वालों को , आजादी की चिंगारी  जलाने वालों को,   आजादी  के  लिए मर मिटने वालों को  , वो भी किसी मां के लाल, किसी की राखी , किसी का इश्क ए तमन्ना थे , पर वे स्वार्थी नहीं थे , जुनून था वतन के लिए  मर  मिटने  का .आप उनके जैसी कुर्बानी नहीं दे सकते तो कम से कम उनकी कुर्बानियों की लाज  रखने का  सलीका सीखिए ,  शहीदों की रूहों को मिले सुकून ऐसे तरीक़े सीखिए   अपनी ही बनाई  जंजीरों की गुलामी,  गुमनामी , नशे  से खुद को आजाद कीजिए और वतन को आबाद कीजिए,  जय हिंद

©Rajni Vijay singla

#shaheeddiwas आजादी का सलीका

126 View

#अभिव्यक्ति #शायरी  श्रेष्ठ और सुंदर शब्दों से प्रकट की गई अभिव्यक्ति,
बनाती और बढ़ाती है प्रत्येक व्यक्ति की आत्म शक्ति।
सटीक अभिव्यक्ति से ही मिलता है जग में सम्मान,
क्योंकि मंशा नहीं अभिव्यक्ति पर जाए सबका ध्यान।

©Amit Singhal "Aseemit"
#कविता #LongRoad  घर से दूर घर की याद बहुत आती है। 
सुबह तो भाग दौड़ मे निकल जाती, 
शाम संग यादों का कारवां लाती है, 
घर से दूर घर की याद बहुत आती है। 

सब कुछ है इस शहर मे, 
बस अपनापन नही, कोई अपना नही
करवटें बदलती रातों मे माँ की आँचल..। 
जरा सा तबियत बिगड़ जाने पे, 
पापा का वो हलचल... 
गाँव का वो डॉक्टर... 
जब खाना पकाते वक्त कभी अचानक से
जब अंगुली जल जाती है, 
खाना बन गया है आके खालो ये आवाज 
कान से होकर आँखों तक आ जाती है... 
बस मे धक्के खाते वक्त 
पापा का बाईक से  स्कूल  छोड़नी याद आती है। 
बड़े हो जाने पर बचपन की याद सताती है। 
घर से दूर घर की याद बहुत आती है।।

©r̴i̴t̴i̴k̴a̴ shukla

#LongRoad कविता # घर की याद...

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