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New slogans on soil pollution Status, Photo, Video

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White इन गलियों में कितनी बार आया हूँ, सफर को कितनी बार दोहराया हूँ, किंतु जानी पहचानी इन गलियों में- बेचैन होकर आज घबराया हूँ ! अब अंतहीन अँधियारा है गगन में, पेड़ मर चुके है धुओं की तपन में, किसने मनमानी की इन गलियों में- उठते विचारों से सकपकाया हूँ, बेचैन होकर आज घबराया हूँ ! नालियों में बजरी बदबू दबी है, कटे पशुओं की थोक बिक्री लगी है, जाहिलों से लबालब इन गलियों में- मन ही मन में बेबस सकुचाया हूँ, बेचैन होकर आज घबराया हूँ ! नशे नशेड़ियों की ही दुकानें है, बस्तियों में प्रचंड मयखाने है, बेहोश मानवों की इन गलियों में- तड़पते तन देख मैं छटपटाया हूँ, बेचैन होकर आज घबराया हूँ ! डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' 🇮🇳 ©Anand Dadhich

#poetananddadhich #kaviananddadhich #कविता #Sad_shayri #Pollution  White इन गलियों में कितनी बार आया हूँ,
सफर को कितनी बार दोहराया हूँ,
किंतु जानी पहचानी इन गलियों में-
बेचैन होकर आज घबराया हूँ !

अब अंतहीन अँधियारा है गगन में,
पेड़ मर चुके है धुओं की तपन में,
किसने मनमानी की इन गलियों में-
उठते विचारों से सकपकाया हूँ,
बेचैन होकर आज घबराया हूँ !

नालियों में बजरी बदबू दबी है,
कटे पशुओं की थोक बिक्री लगी है,
जाहिलों से लबालब इन गलियों में-
मन ही मन में बेबस सकुचाया हूँ,
बेचैन होकर आज घबराया हूँ !

नशे नशेड़ियों की ही दुकानें है,
बस्तियों में प्रचंड मयखाने है,
बेहोश  मानवों की इन गलियों में-
तड़पते तन देख मैं छटपटाया हूँ,
बेचैन होकर आज घबराया हूँ !

डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' 🇮🇳

©Anand Dadhich

विविधताओं में भी दिखता है समजस्य इनमें बोल सकते नहीं मगर बहुत कुछ कह जाते है कभी देखो! सुनो इन्हें। ये देते बहुत हैं मगर हम देने की बात करते नहीं कभी देकर देखें और सबसे मजेदार बात ये हैं की प्रेम की भाषा जानते है निभाते बखूबी है बिलकुल एक सच्चे मित्र की तरह मित्र बनाओ इन्हें काटने की कवायद नहीं कर पाओगे जब मित्र बन जायेंगे और हां ये जितना दे सकते हैं बखूबी देते हैं फल से लेकर जड़ तक सब कुर्बान है मेरे दोस्त ऐसी शक्ति enhi मै है ❣️ ©वीrendra yadav

#विचार #Save  विविधताओं में भी दिखता है समजस्य इनमें 
बोल सकते नहीं मगर बहुत कुछ कह जाते है 
कभी देखो! सुनो इन्हें।
ये देते बहुत हैं मगर हम देने की बात करते नहीं 
कभी देकर देखें 
और सबसे मजेदार बात ये हैं की 
प्रेम की भाषा जानते है 
निभाते बखूबी है बिलकुल एक सच्चे मित्र की तरह
मित्र बनाओ इन्हें 
काटने की कवायद नहीं कर पाओगे
जब मित्र बन जायेंगे 
और हां 
ये जितना दे सकते हैं बखूबी देते हैं
फल से लेकर जड़ तक सब कुर्बान है मेरे दोस्त
ऐसी शक्ति enhi मै है 
❣️

©वीrendra yadav

nature love #Save soil #Save trees ❣️

12 Love

#विचार #SavePlanet #pujaudeshi #Pollution #Earth  White ज़िन्दगी है तो तूफ़ान आऐगे 
फिर गुजर भी जाऐगे 
कुदरत के रहस्य किसी क़ो समझ 
नहीं आऐगे, जो बो रहे है हम 
वही कटेगे फिर शिकवा शिकायत 
क्या मौसम मे बदलाव आऐगे 
बाढ़ मे वाहन, माचिस की डिब्बी की 
तरह तेरेगी और मकान डूबते नज़र 
आऐगे,दुबई की प्राकृतिक बरसात का plan देख लो, क्या हुआ,,अभी भी नहीं संभालेगा अगर 
धरती क़ो तो माल के साथ साथ जान 
के भी लाले पड़ जाऐगे...
Save planet Earth from pollution

©PФФJД ЦDΞSHI

एक सामयिक कविता - लंबे हम हो रहे है काली सूखी राहों पर, खंबे हम बो रहे है, अज्ञ विकास की राहों पर, लंबे हम हो रहे है। विलीन सी धाराओं पर, मैल हम धो रहे है, उदास जलमलाओं पर, लंबे हम हो रहे है। खुरदरे खड़े टीलों पर, शजर हम खो रहे है बनवा कोठे पर्वतों पर, लंबे हम हो रहे है। इन नशीली हवाओं पर, बाज़ सब रो रहे है, गिद्धों से हालातों पर, लंबे हम हो रहे है। डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' 🇮🇳 ©Anand Dadhich

#kaviananddadhich #poetananddadhich #कविता #PoemonPollution #POLLUTED_DELHI #hindipoetry  एक सामयिक कविता - लंबे हम हो रहे है

काली सूखी राहों पर,
खंबे हम बो रहे है,
अज्ञ विकास की राहों पर,
लंबे हम हो रहे है।

विलीन सी धाराओं पर,
मैल हम धो रहे है,
उदास जलमलाओं पर,
लंबे हम हो रहे है।

खुरदरे खड़े टीलों पर,
शजर हम खो रहे है
बनवा कोठे पर्वतों पर,
लंबे हम हो रहे है।

इन नशीली हवाओं पर,
बाज़ सब रो रहे है,
गिद्धों से हालातों पर,
लंबे हम हो रहे है।

डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' 🇮🇳

©Anand Dadhich
#Pollution #hunarbaaz  Pollution  రాజకీయం కూడా ఒక మతం. అదొకపిండం-అందులోంచే యుద్దాలు పుడతాయి.

©VADRA KRISHNA

#Pollution *గైడీ మాస్రావా

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air pollution

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White इन गलियों में कितनी बार आया हूँ, सफर को कितनी बार दोहराया हूँ, किंतु जानी पहचानी इन गलियों में- बेचैन होकर आज घबराया हूँ ! अब अंतहीन अँधियारा है गगन में, पेड़ मर चुके है धुओं की तपन में, किसने मनमानी की इन गलियों में- उठते विचारों से सकपकाया हूँ, बेचैन होकर आज घबराया हूँ ! नालियों में बजरी बदबू दबी है, कटे पशुओं की थोक बिक्री लगी है, जाहिलों से लबालब इन गलियों में- मन ही मन में बेबस सकुचाया हूँ, बेचैन होकर आज घबराया हूँ ! नशे नशेड़ियों की ही दुकानें है, बस्तियों में प्रचंड मयखाने है, बेहोश मानवों की इन गलियों में- तड़पते तन देख मैं छटपटाया हूँ, बेचैन होकर आज घबराया हूँ ! डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' 🇮🇳 ©Anand Dadhich

#poetananddadhich #kaviananddadhich #कविता #Sad_shayri #Pollution  White इन गलियों में कितनी बार आया हूँ,
सफर को कितनी बार दोहराया हूँ,
किंतु जानी पहचानी इन गलियों में-
बेचैन होकर आज घबराया हूँ !

अब अंतहीन अँधियारा है गगन में,
पेड़ मर चुके है धुओं की तपन में,
किसने मनमानी की इन गलियों में-
उठते विचारों से सकपकाया हूँ,
बेचैन होकर आज घबराया हूँ !

नालियों में बजरी बदबू दबी है,
कटे पशुओं की थोक बिक्री लगी है,
जाहिलों से लबालब इन गलियों में-
मन ही मन में बेबस सकुचाया हूँ,
बेचैन होकर आज घबराया हूँ !

नशे नशेड़ियों की ही दुकानें है,
बस्तियों में प्रचंड मयखाने है,
बेहोश  मानवों की इन गलियों में-
तड़पते तन देख मैं छटपटाया हूँ,
बेचैन होकर आज घबराया हूँ !

डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' 🇮🇳

©Anand Dadhich

विविधताओं में भी दिखता है समजस्य इनमें बोल सकते नहीं मगर बहुत कुछ कह जाते है कभी देखो! सुनो इन्हें। ये देते बहुत हैं मगर हम देने की बात करते नहीं कभी देकर देखें और सबसे मजेदार बात ये हैं की प्रेम की भाषा जानते है निभाते बखूबी है बिलकुल एक सच्चे मित्र की तरह मित्र बनाओ इन्हें काटने की कवायद नहीं कर पाओगे जब मित्र बन जायेंगे और हां ये जितना दे सकते हैं बखूबी देते हैं फल से लेकर जड़ तक सब कुर्बान है मेरे दोस्त ऐसी शक्ति enhi मै है ❣️ ©वीrendra yadav

#विचार #Save  विविधताओं में भी दिखता है समजस्य इनमें 
बोल सकते नहीं मगर बहुत कुछ कह जाते है 
कभी देखो! सुनो इन्हें।
ये देते बहुत हैं मगर हम देने की बात करते नहीं 
कभी देकर देखें 
और सबसे मजेदार बात ये हैं की 
प्रेम की भाषा जानते है 
निभाते बखूबी है बिलकुल एक सच्चे मित्र की तरह
मित्र बनाओ इन्हें 
काटने की कवायद नहीं कर पाओगे
जब मित्र बन जायेंगे 
और हां 
ये जितना दे सकते हैं बखूबी देते हैं
फल से लेकर जड़ तक सब कुर्बान है मेरे दोस्त
ऐसी शक्ति enhi मै है 
❣️

©वीrendra yadav

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#विचार #SavePlanet #pujaudeshi #Pollution #Earth  White ज़िन्दगी है तो तूफ़ान आऐगे 
फिर गुजर भी जाऐगे 
कुदरत के रहस्य किसी क़ो समझ 
नहीं आऐगे, जो बो रहे है हम 
वही कटेगे फिर शिकवा शिकायत 
क्या मौसम मे बदलाव आऐगे 
बाढ़ मे वाहन, माचिस की डिब्बी की 
तरह तेरेगी और मकान डूबते नज़र 
आऐगे,दुबई की प्राकृतिक बरसात का plan देख लो, क्या हुआ,,अभी भी नहीं संभालेगा अगर 
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एक सामयिक कविता - लंबे हम हो रहे है काली सूखी राहों पर, खंबे हम बो रहे है, अज्ञ विकास की राहों पर, लंबे हम हो रहे है। विलीन सी धाराओं पर, मैल हम धो रहे है, उदास जलमलाओं पर, लंबे हम हो रहे है। खुरदरे खड़े टीलों पर, शजर हम खो रहे है बनवा कोठे पर्वतों पर, लंबे हम हो रहे है। इन नशीली हवाओं पर, बाज़ सब रो रहे है, गिद्धों से हालातों पर, लंबे हम हो रहे है। डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' 🇮🇳 ©Anand Dadhich

#kaviananddadhich #poetananddadhich #कविता #PoemonPollution #POLLUTED_DELHI #hindipoetry  एक सामयिक कविता - लंबे हम हो रहे है

काली सूखी राहों पर,
खंबे हम बो रहे है,
अज्ञ विकास की राहों पर,
लंबे हम हो रहे है।

विलीन सी धाराओं पर,
मैल हम धो रहे है,
उदास जलमलाओं पर,
लंबे हम हो रहे है।

खुरदरे खड़े टीलों पर,
शजर हम खो रहे है
बनवा कोठे पर्वतों पर,
लंबे हम हो रहे है।

इन नशीली हवाओं पर,
बाज़ सब रो रहे है,
गिद्धों से हालातों पर,
लंबे हम हो रहे है।

डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' 🇮🇳

©Anand Dadhich
#Pollution #hunarbaaz  Pollution  రాజకీయం కూడా ఒక మతం. అదొకపిండం-అందులోంచే యుద్దాలు పుడతాయి.

©VADRA KRISHNA

#Pollution *గైడీ మాస్రావా

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