tags

New ग़ज़ल इनाम सिंह मस्ताना Status, Photo, Video

Find the latest Status about ग़ज़ल इनाम सिंह मस्ताना from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about ग़ज़ल इनाम सिंह मस्ताना.

  • Latest
  • Popular
  • Video
 White दाग़ दुनिया ने दिए ज़ख़्म ज़माने से मिले
हम को तोहफ़े ये तुम्हें दोस्त बनाने से मिले

हम तरसते ही तरसते ही तरसते ही रहे
वो फ़लाने से फ़लाने से फ़लाने से मिले

ख़ुद से मिल जाते तो चाहत का भरम रह जाता
क्या मिले आप जो लोगों के मिलाने से मिले

माँ की आग़ोश में कल मौत की आग़ोश में आज
हम को दुनिया में ये दो वक़्त सुहाने से मिले

कभी लिखवाने गए ख़त कभी पढ़वाने गए
हम हसीनों से इसी हीले बहाने से मिले

इक नया ज़ख़्म मिला एक नई उम्र मिली
जब किसी शहर में कुछ यार पुराने से मिले

एक हम ही नहीं फिरते हैं लिए क़िस्सा-ए-ग़म
उन के ख़ामोश लबों पर भी फ़साने से मिले

कैसे मानें कि उन्हें भूल गया तू ऐ 'कैफ़'
उन के ख़त आज हमें तेरे सिरहाने से मिले

©Jashvant

ग़ज़ल ( माँ )

108 View

#शायरी #ग़ज़ल #BeatMusic
#शायरी #ग़ज़ल  Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. वो सुनते  हैं उनको  सुनाते रहना 
पेड़ों को अपना दुख  बताते  रहना 

घटती हो  इज़्जत तो  घटे मगर तुम 
उसकी गली  से आते  जाते  रहना 

ये  समझो इक उत्सुक्ता है मुहब्बत 
तुमने  की  है सबको  कराते रहना 

हमको मुहब्बत के  ये मानी हैं बस 
चट्टानों  को मखमल बनाते रहना

©Deep Aviral

Blue Moon ग़ज़ल रिश्ता गया था टूट,फिर से जोड़ना पड़ा। धागा उलझ गया था,तो वो तोड़ना पड़ा। मेरी समझ न आया लोगों का कुछ मिजाज़। तो खुद का रास्ता ही मुझे मोड़ना पड़ा। अकेली थी मैं और आगे काफिले मिले। सभी निकले दगाबाज उनको छोड़ना पड़ा। जो सोचा नहीं कभी,वही हर बार हुआ है। सबकी पसंद से ही खुद को जोड़ना पड़ा। चाहा जो जिंदगी में,वो मिला कभी नहीं। ना चाहते हुए भी दिल को तोड़ना पड़ा। जब झुक गई हर बार मैं रिश्तों के नाम पर। तो अपनी ख्वाहिशों को मुझे छोड़ना पड़ा। ©Dr Nutan Sharma Naval

#रिश्ता #ग़ज़ल #नूतन  Blue Moon ग़ज़ल
रिश्ता गया था टूट,फिर से जोड़ना पड़ा।
धागा उलझ गया था,तो वो तोड़ना  पड़ा।

मेरी समझ न आया लोगों का कुछ मिजाज़।
तो खुद का रास्ता ही मुझे मोड़ना  पड़ा।

अकेली थी मैं और आगे काफिले मिले।
सभी निकले दगाबाज उनको छोड़ना पड़ा।

जो सोचा नहीं कभी,वही हर बार हुआ है।
सबकी पसंद से ही खुद को जोड़ना पड़ा।

चाहा जो जिंदगी में,वो मिला कभी नहीं।
ना चाहते हुए भी दिल को तोड़ना पड़ा।

जब झुक गई हर बार मैं रिश्तों के नाम पर।
तो अपनी ख्वाहिशों को मुझे छोड़ना पड़ा।

©Dr Nutan Sharma Naval
#ग़ज़ल_मन #ग़ज़ल #नितन  ग़ज़ल

दुआ मेरी भी अब हो गई कुबूल है।
हो गई मुझसे शायद कोई भूल है।

जिसने बरसों से मेरा पता न लिया।
आना उसका यहां अब बेफिजूल है।

बज्म में बैठकर मुस्कुराता था जो।
और उसी बज्म का आज मकतूल है.

मैने सोचा था अब वो कभी न मिले।
कामरानी बहुत और वो मशगूल है।

रंज है मुझको उससे मुलाक़ात का।
मैं हूं नूतन सा गुल वो इक बबूल है।

मकतूल-मारा हुआ
कामरानी-कामयाब
मशगूल-व्यस्त
रंज दुःख

©Dr Nutan Sharma Naval

क्या कुछ  हम में कमी है अभी इन  चिराग़ों में  रौशनी है अभी छोड़ो मुझ को लुटना खसोटना  चंद लम्हों की  जिन्दगी है अभी रात के बाद सबेरा आयेगा नया आहट ऐसी ही आ रही है अभी बात तो पते की ही  कहीं उस ने क्या कोई गुंजाइश बची है अभी हिम्मत  जो बची है  कैसे छोड़ दे आस दिल में  ऐसी लगी है अभी श्याम कौशिक ©श्याम कौशिक

#शायरी #snowpark  क्या कुछ  हम में कमी है अभी

इन  चिराग़ों में  रौशनी है अभी

छोड़ो मुझ को लुटना खसोटना 

चंद लम्हों की  जिन्दगी है अभी

रात के बाद सबेरा आयेगा नया

आहट ऐसी ही आ रही है अभी

बात तो पते की ही  कहीं उस ने

क्या कोई गुंजाइश बची है अभी

हिम्मत  जो बची है  कैसे छोड़ दे

आस दिल में  ऐसी लगी है अभी

श्याम कौशिक

©श्याम कौशिक

#snowpark ग़ज़ल

12 Love

 White दाग़ दुनिया ने दिए ज़ख़्म ज़माने से मिले
हम को तोहफ़े ये तुम्हें दोस्त बनाने से मिले

हम तरसते ही तरसते ही तरसते ही रहे
वो फ़लाने से फ़लाने से फ़लाने से मिले

ख़ुद से मिल जाते तो चाहत का भरम रह जाता
क्या मिले आप जो लोगों के मिलाने से मिले

माँ की आग़ोश में कल मौत की आग़ोश में आज
हम को दुनिया में ये दो वक़्त सुहाने से मिले

कभी लिखवाने गए ख़त कभी पढ़वाने गए
हम हसीनों से इसी हीले बहाने से मिले

इक नया ज़ख़्म मिला एक नई उम्र मिली
जब किसी शहर में कुछ यार पुराने से मिले

एक हम ही नहीं फिरते हैं लिए क़िस्सा-ए-ग़म
उन के ख़ामोश लबों पर भी फ़साने से मिले

कैसे मानें कि उन्हें भूल गया तू ऐ 'कैफ़'
उन के ख़त आज हमें तेरे सिरहाने से मिले

©Jashvant

ग़ज़ल ( माँ )

108 View

#शायरी #ग़ज़ल #BeatMusic
#शायरी #ग़ज़ल  Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. वो सुनते  हैं उनको  सुनाते रहना 
पेड़ों को अपना दुख  बताते  रहना 

घटती हो  इज़्जत तो  घटे मगर तुम 
उसकी गली  से आते  जाते  रहना 

ये  समझो इक उत्सुक्ता है मुहब्बत 
तुमने  की  है सबको  कराते रहना 

हमको मुहब्बत के  ये मानी हैं बस 
चट्टानों  को मखमल बनाते रहना

©Deep Aviral

Blue Moon ग़ज़ल रिश्ता गया था टूट,फिर से जोड़ना पड़ा। धागा उलझ गया था,तो वो तोड़ना पड़ा। मेरी समझ न आया लोगों का कुछ मिजाज़। तो खुद का रास्ता ही मुझे मोड़ना पड़ा। अकेली थी मैं और आगे काफिले मिले। सभी निकले दगाबाज उनको छोड़ना पड़ा। जो सोचा नहीं कभी,वही हर बार हुआ है। सबकी पसंद से ही खुद को जोड़ना पड़ा। चाहा जो जिंदगी में,वो मिला कभी नहीं। ना चाहते हुए भी दिल को तोड़ना पड़ा। जब झुक गई हर बार मैं रिश्तों के नाम पर। तो अपनी ख्वाहिशों को मुझे छोड़ना पड़ा। ©Dr Nutan Sharma Naval

#रिश्ता #ग़ज़ल #नूतन  Blue Moon ग़ज़ल
रिश्ता गया था टूट,फिर से जोड़ना पड़ा।
धागा उलझ गया था,तो वो तोड़ना  पड़ा।

मेरी समझ न आया लोगों का कुछ मिजाज़।
तो खुद का रास्ता ही मुझे मोड़ना  पड़ा।

अकेली थी मैं और आगे काफिले मिले।
सभी निकले दगाबाज उनको छोड़ना पड़ा।

जो सोचा नहीं कभी,वही हर बार हुआ है।
सबकी पसंद से ही खुद को जोड़ना पड़ा।

चाहा जो जिंदगी में,वो मिला कभी नहीं।
ना चाहते हुए भी दिल को तोड़ना पड़ा।

जब झुक गई हर बार मैं रिश्तों के नाम पर।
तो अपनी ख्वाहिशों को मुझे छोड़ना पड़ा।

©Dr Nutan Sharma Naval
#ग़ज़ल_मन #ग़ज़ल #नितन  ग़ज़ल

दुआ मेरी भी अब हो गई कुबूल है।
हो गई मुझसे शायद कोई भूल है।

जिसने बरसों से मेरा पता न लिया।
आना उसका यहां अब बेफिजूल है।

बज्म में बैठकर मुस्कुराता था जो।
और उसी बज्म का आज मकतूल है.

मैने सोचा था अब वो कभी न मिले।
कामरानी बहुत और वो मशगूल है।

रंज है मुझको उससे मुलाक़ात का।
मैं हूं नूतन सा गुल वो इक बबूल है।

मकतूल-मारा हुआ
कामरानी-कामयाब
मशगूल-व्यस्त
रंज दुःख

©Dr Nutan Sharma Naval

क्या कुछ  हम में कमी है अभी इन  चिराग़ों में  रौशनी है अभी छोड़ो मुझ को लुटना खसोटना  चंद लम्हों की  जिन्दगी है अभी रात के बाद सबेरा आयेगा नया आहट ऐसी ही आ रही है अभी बात तो पते की ही  कहीं उस ने क्या कोई गुंजाइश बची है अभी हिम्मत  जो बची है  कैसे छोड़ दे आस दिल में  ऐसी लगी है अभी श्याम कौशिक ©श्याम कौशिक

#शायरी #snowpark  क्या कुछ  हम में कमी है अभी

इन  चिराग़ों में  रौशनी है अभी

छोड़ो मुझ को लुटना खसोटना 

चंद लम्हों की  जिन्दगी है अभी

रात के बाद सबेरा आयेगा नया

आहट ऐसी ही आ रही है अभी

बात तो पते की ही  कहीं उस ने

क्या कोई गुंजाइश बची है अभी

हिम्मत  जो बची है  कैसे छोड़ दे

आस दिल में  ऐसी लगी है अभी

श्याम कौशिक

©श्याम कौशिक

#snowpark ग़ज़ल

12 Love

Trending Topic