दूर होकर भी करीब पाया तुम्हें ,,
अब अपना नसीब बनाया तुम्हें,,
गुस्सा होकर तुझसे,
तुझसे ही बात करने को बेताब रहता है ये दिल ,,
शायद तेरे हर लहजे में जादू है कोई,,
जो दिल ने सबसे हसीन बताया तुम्हें ,,
हाय, ये कातिल आंखें और चेहरा मासूम,
शायद ,कुदरत ने फुरसत से बनाया तुम्हें
दिल और धड़कन में रहेते हो तुम ,,
एक पल भी नहीं भुलाया तुम्हें ,,
मेरा खिलना-मुरझाना है तेरे हाथों में,,
लो अपना दामन फैलाया तुम्हें ,,
मेरे इन आंखों में तुम पढ़ लेना ,,,
जो अब तक कह ना पाई तुम्हें ......
दूर होकर भी करीब पाया तुम्हे ,,
अब अपना नसीब बनाया तुम्हे ......
©Pragya Karn
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